लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

सीएम हेमंत के भाई बसंत सोरेन की विधायकी पर भी मंडराया खतरा, EC ने राज्यपाल को भेजी शिफारिश

बसंत सोरेन पश्चिम बंगाल की माइनिंग कंपनी चंद्रा स्टोन के मालिक दिनेश कुमार सिंह के बिजनेस पार्टनर हैं। वह पार्टनरशिप में मेसर्स ग्रैंड माइनिंग नामक कंपनी भी चलाते हैं।

झारखंड में मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन के खनन लीज अपने नाम कराने के मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी के बाद से शुरू हुआ राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बीच उनके भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन की विधायकी भी खतरे में आ गयी है। निर्वाचन आयोग (EC)ने बसंत के मामले में हियरिंग पूरी कर फाइल राजभवन भेज दी है।
बसंत सोरेन पश्चिम बंगाल की माइनिंग कंपनी चंद्रा स्टोन के मालिक दिनेश कुमार सिंह के बिजनेस पार्टनर हैं। वह पार्टनरशिप में मेसर्स ग्रैंड माइनिंग नामक कंपनी भी चलाते हैं। पाकुड़ में चल रही इस कंपनी में भूपेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह और बसंत सोरेन पार्टनर हैं। 
उन्होंने चुनावी हलफनामे में इनका उल्लेख नहीं किया था। भाजपा ने इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 ए के नियमों का उल्लंघन बताते हुए उन्हें विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। इसे लेकर राज्यपाल के पास लिखित शिकायत की गयी थी।

Congress ने राहुल गांधी की पादरी के साथ बातचीत को लेकर, भाजपा पर भ्रम फैलाने का लगाया आरोप

हेमंत सोरेन के मामले की तरह इसमें भी राज्यपाल ने चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था। इसके बाद चुनाव आयोग ने बसंत सोरेन और शिकायतकर्ता भाजपा को नोटिस कर मामले की सुनवाई की थी। अंतिम सुनवाई बीते 29 अगस्त को हुई थी। इसी मामले में अब चुनाव आयोग ने उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर झारखंड के राजभवन को मंतव्य भेज दिया है। 
हेमंत सोरेन के मामले की तरह बसंत सोरेन के केस में भी चुनाव आयोग के मंतव्य के अनुसार राज्यपाल को निर्णय लेना है। राजभवन की ओर से इस बाबत कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान दुमका के विधायक बसंत सोरेन की तरफ से उनके अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि यह मामला राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र का नहीं है। इसकी अनदेखी करते हुए राजभवन ने संविधान के अनुच्छेद 191 (1) के तहत चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा। 
बसंत सोरेन ने अगर आयोग के समक्ष दिए गए शपथपत्र में तथ्यों को छिपाया है तो हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल कर उनकी सदस्यता को चुनौती दी जा सकती है। दूसरी तरफ भाजपा के अधिवक्ता ने इसपर दलील दी कि बसंत सोरेन जिस माइनिंग कंपनी से जुड़े हैं, वह राज्य में खनन करती है। बसंत सोरेन का इससे जुड़ाव अधिकारियों को प्रभावित करता है। यह कंफ्लिक्ट आफ इंट्रेस्ट का मामला है। ऐसे में उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − 18 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।