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CM ममता बनर्जी ने बाढ़ की स्थिति पर PM मोदी को लिखा पत्र, डीवीसी ठहराया दोषी

पश्चिम बंगाल में बाढ़ के लिए ‘दामोदर वैली कारपोरेशन’ (डीवीसी) द्वारा “अभूतपूर्व” तरीके से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद डीवीसी ने बुधवार को कहा कि वह राज्य सरकार की अनुमति लेने के बाद पानी छोड़ता है।

पश्चिम बंगाल में बाढ़ के लिए ‘दामोदर वैली कारपोरेशन’ (डीवीसी) द्वारा “अभूतपूर्व” तरीके से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद डीवीसी ने बुधवार को कहा कि वह राज्य सरकार की अनुमति लेने के बाद पानी छोड़ता है और बाढ़ की स्थिति के लिए उस पर आरोप लगाना सही नहीं है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि ‘सिल्ट’ हटाने और तल में कचरे की सफाई करने का काम नहीं किया गया तथा डीवीसी के बांधों की क्षमता को नहीं बढ़ाया गया जबकि इन मुद्दों को 2015 में उठाया गया था।
डीवीसी की ओर से कहा गया कि वह जल नियमन पर निर्णय नहीं लेता और इसके बारे में ‘दामोदर वैली रिजरवॉयर रेगुलेशन कमेटी’ (डीवीआरआरसी) निर्णय लेती है और राज्य के सिंचाई सचिव इसके सदस्य हैं। डीवीसी के कार्यकारी निदेशक (मैथोन) एस बनर्जी ने कहा, “डीवीसी जल नियमन पर केवल समिति के निर्णय का पालन करती है।
पानी छोड़े जाने से पहले राज्य सरकार की अनुमति ली जाती है और डीवीसी जिला प्रशासन को चेतावनी जारी करती है। इसलिए बाढ़ के लिए डीवीसी को दोष देना सही नहीं है।” मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पंचेत, मैथोन और तेनुघाट पर डीवीसी बांधों से “अभूतपूर्व” तरीके से छोड़े गए पानी के कारण कुछ जिलों में मानव जनित बाढ़ की गंभीर स्थिति बन गई है।
डीवीसी ने 31 जुलाई से बुधवार दोपहर तक 5.98 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा। पश्चिम बंगाल के छह जिलों के बड़े हिस्सों में पिछले कुछ दिन में भारी बारिश होने के कारण आई बाढ़ की वजह से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और तीन लाख बेघर हो गए।
डीवीसी अधिकारी ने कहा कि डीवीआरआरसी, जहां तक संभव हो, पानी नहीं छोड़ने का प्रयास करता है लेकिन एक सीमा के बाद बांध को खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि और बारिश होने की आशंका थी इसलिए स्थिति बदतर हो सकती थी। उन्होंने कहा कि डीवीसी में केंद्र और झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल समान रूप से हिस्सेदार है।

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