मेघालय-असम सीमा विवाद को लेकर मेघालय मुख्यमंत्री सी के संगमा ने दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित 36 विवादित गांवों में से 30 गांवों को दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने मेघालय में रहने देने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि ये 36 गांव 36.9 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैले हैं जबकि 30 गांव 18 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को विधानसभा में अंतर-राज्यीय सीमा विवाद हल करने के लिए असम सरकार के साथ वार्ता की प्रगति पर सदन को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों राज्य इस पर राजी हो गए हैं कि पहले से चिह्नित 12 इलाकों में ऐसा कोई नया इलाका नहीं जोड़ा जाएगा, जिस पर मतभेद हो।
उन्होंने कहा, ‘‘मेघालय ने 2011 में जिन 36 गांवों पर दावा किया था, उनमें से दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने 30 गांवों को मेघालय में रहने देने की सिफारिश की है। हालांकि, जमीन का मालिकाना हक सीमा का निर्धारण करने के बाद प्रभावित नहीं होगा।’’
संगमा ने कहा, ‘‘मेघालय ने ताराबाड़ी इलाके में जिन आठ गांवों पर दावा जताया था, वे राज्य में बने रहेंगे। गिजांग में हमने तीन गांवों पर दावा किया था और उनमें से दो राज्य में बने रहेंगे। हमें हाहीम में 12 गांवों में से 11 मिलेंगे। बोकलापाड़ा में दो में से एक, खानपाड़ा-पिल्लंगकाटा में छह में से पांच और रतचेरा में पांच में से तीन गांव मिलेंगे।’’
उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता में दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने चर्चा, दौरा और सर्वेक्षण किया और इस कवायद में विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया। दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा इन इलाकों का अधिक सटीक तरीके से निर्धारण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों राज्यों ने इस विवाद को खत्म करने के लिए जनवरी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और मतभेद वाले छह इलाकों में बातचीत की गयी थी तथा इसके नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए थे।