असम-मिजोरम सीमा विवाद को लेकर हुए खुनी संग्राम में 5 पुलिसकर्मियों समेत 6 की मौत और एक पुलिस अधीक्षक समेत 60 अन्य घायल हुए। इस पूरे विवाद को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि मैं किसी भी व्यक्ति को असम की ज़मीन नहीं लेने दूंगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह अतिक्रमण को लेकर ‘इनरलाइन फॉरेस्ट’ की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
मुख्यमंत्री शर्मा ने सरमा ने मंगलवार को कहा, आरक्षित वन क्षेत्र है। सैटेलाइट इमेजिंग की मदद से आप देख सकते हैं कि अतिक्रमण कैसे हुआ है। असम अतिक्रमण को लेकर मिजोरम के साथ सीमा विवाद के बाद ‘इनरलाइन फॉरेस्ट’ की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
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उन्होंने कहा, “मैं ज़मीन की एक इंच भी किसी को नहीं दे सकता, अगर कल संसद एक क़ानून बना दे कि बराक वैली को मिज़ोरम को दिया जाए, तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। परन्तु जब तक संसद यह फैसला नहीं लेती, मैं किसी भी व्यक्ति को असम की ज़मीन नहीं लेने दूंगा। उन्होंने कहा, विवाद भूमि को लेकर नहीं है, बल्कि मुद्दा आरक्षित वनों का अतिक्रमण है। वन क्षेत्रों में हमारी कोई बस्तियां नहीं हैं और अगर मिजोरम सबूत दे सकता है, तो हम तुरंत बाहर निकल जाएंगे।’’
सरमा ने कहा, ‘‘हमने ऐसा कर लिया है, लेकिन मिजोरम ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। हमारे पुलिस बल चौकी से 100 मीटर की दूरी पर तैनात हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि असम सुरक्षा कड़ी करने के लिए मिजोरम की सीमा से लगते जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में तीन कमांडो बटालियन तैनात करेगा।
हिंसक झड़पों पर असम के सीएम सरमा ने कहा, घटना असम की सीमा पर हुई। हमारी पुलिस मामले की जांच करेगी। इसकी जांच की जाएगी कि नागरिकों को हथियार कहां से मिले। पांच पुलिस कर्मियों की जान चली गई। सरकार मारे गए पुलिस कर्मियों के परिवारों को 50-50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। घायलों को एक-एक लाख रुपये दिए जाएंगे। सरकार ने घायल एसपी को इलाज के लिए मुंबई भेजा दिया गया है।
गौरतलब है कि असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद के अचानक बढ़ने के दौरान हुई हिंसक झड़प में असम पुलिस के पांच जवानों के साथ कुल लोगों की मौत हो गई और एक पुलिस अधीक्षक समेत 60 अन्य घायल हो गए। दोनों पक्षों ने हिंसा के लिए एक-दूसरे की पुलिस को जिम्मेदार ठहराया और केंद्र के दखल की मांग की।