मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को दोपहर यहां मिंटो हॉल परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष 24 घंटे के ‘स्वास्थ्य आग्रह’पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने मानवता पर बड़ा संकट बताते हुए कहा कि इससे लड़ने का सबसे बड़े उपाय आम लोगों को जागरुक करना है। चौहान ने इस अवसर पर कहा कि वे कल दिन में साढ़े बारह बजे तक स्वास्थ्य आग्रह पर बैठेंगे और इस दौरान अपने दायित्वों का निर्वहन भी करेंगे।
इसी दौरान एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह भी चौहान के साथ स्वास्थ्य आग्रह स्थल पर पहुंचे और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कोरोना संबंधी मसले उठाए गए हैं। लक्ष्मण सिंह पहले भाजपा में भी रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं।
इस मौके पर चौहान ने कहा कि वे महात्मा गांधी के मार्ग का अनुसरण करते हुए स्वास्थ्य आग्रह पर बैठे हैं और इसका मुख्य उद्देश्य कोरोना से लड़ने के लिए आम लोगों को जागरुक करना है। इस कार्य को वे महाअभियान में परिवर्तित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने का एक उपाय लॉकडाउन भी है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी, इसलिए वे सीमित लॉकडाउन और पाबंदियों के साथ मॉस्क के उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य उपायों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए लोगों को जागरुक करना चाहते हैं।
चौहान ने दोहराया कि लोगों की सहभागिता के बगैर कोरोना से मजबूती से नहीं लड़ा जा सकता है। उन्होंने संकेत दिए कि अप्रैल माह कोरोना संक्रमण की दृष्टि से बेहद चुनौतीपूर्ण हैं और लोगों को यह बात समझना चाहिए। उन्होंने मीडिया, राजनैतिक दलों और अन्य लोगों से भी आग्रह किया कि वे कोरोना के खिलाफ जागरुकता महाअभियान बनाने में अपना अपना सहयोग सुनिश्चित करें।
चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण देश के साथ ही प्रदेश में भी तेजी से बढ़ रहा है। ये बीमारी ऐसी है कि केवल सरकारी प्रयासों से इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। संक्रमण हमारे व्यवहार से ही फैलता है और इसे रोकने के लिए हमारे आचार व्यवहार, यानी अनुशासित व्यवहार की आवश्यकता है। सरकार इलाज इत्यादि की पूरी व्यवस्था कर रही है, लेकिन लोगों को भी जाग्रत होना ही पड़ेगा । उन्होंने कहा कि कई जिलों में अब भी लोग मॉस्क नहीं लगा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं।
बीच में कोरोना के मामले कम हो गए थे। वैक्सीन भी आ गया। इसलिए लोग पहले की तुलना में कम सतर्क रहे। अनेक कार्यक्रम आयोजित हुए और इसकी परिणति ही रही कि कोरोना फिर से भयावह रूप में सामने आ गया है। अब लोगों को संयमित और अनुशासित व्यवहार के साथ वैक्सीन लगवाने के कार्य को प्राथमिकता देना होगा। उन्होंने कहा कि नागरिकों से इन्हीं सब बातों के नैतिक आग्रह के लिए वे स्वास्थ्य आग्रह पर बैठे हैं।