दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तर्ज पर झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत का प्रस्ताव ला सकती है। संकेत है कि एक सितंबर की शाम चार बजे बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में इस बाबत निर्णय लिया जायेगा। शाम चार बजे ही यूपीए गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिलेगा।
अनुशंसा पर एक तरफ राजभवन मौन
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग के मंतव्य को लेकर झारखंड में पिछले आठ दिनों से सियासी अनिश्चितता कायम है। चुनाव आयोग की अनुशंसा पर एक तरफ राजभवन मौन है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी गठबंधन को आशंका है कि अनिश्चितता के इस माहौल में उसके विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग हो सकती है।
विधायकों को एकजुट रखने के लिए कदम उठाया
इसी वजह से सत्ताधारी गठबंधन के 34 विधायकों को सामूहिक रूप से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक रिसॉर्ट में रखा गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायकों को स्पेशल फ्लाइट से रायपुर भेजे जाने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि सरकार को अस्थिर करने का जिस तरह का षड्यंत्र चल रहा है, उसमें सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों को एकजुट रखने के लिए यह कदम उठाना पड़ा है।
किलेबंदी मजबूत करने की कोशिश
माना जा रहा है कि अब सत्ताधारी गठबंधन दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरह विधानसभा में विश्वास मत पारित करवाकर अपनी किलेबंदी मजबूत करने की कोशिश करेगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार एक सितंबर को शाम चार बजे से होने वाली कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव लाया जा रहा है। सियासी सस्पेंस के बीच बुलाई गई कैबिनेट की इस बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस कोटे के चार मंत्री आलमगीर आलम, डा. रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता और बादल पत्रलेख बुधवार की रात रायपुर से वापस रांची लौट आए हैं। ये चारों मंत्री मंगलवार को रायपुर भेजे गए 31 विधायकों के दल में शामिल थे।