महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसी कोई न कोई घटना होती ही रहती है, जिससे प्रदेश की सियायत में उथल-पुथल मची रहती है। ताजा मामला राज्य के विधानसभा के मॉनसून सत्र को लेकर सामने आया है, जहां पर महाराष्ट्र की सरकार ने पांच जुलाई से सिर्फ दो दिन के लिए मॉनसून का सत्र बुलाया है।
सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठते देख मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले का बचाव किया। दरअसल, उद्धव ने शुक्रवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक पत्र लिख कर केवल दो दिन के सत्र को बुलाए जाने के सरकार के फैसले पर कहा कि प्रदेश की कोरोना वायरस महामारी की स्थिति को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाई नहीं जा सकती है।
उन्होंने कहा कि दो दिन के सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सकता और इसके लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं है। ठाकरे ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को राजनीतिक आरक्षण बहाल करने के लिए कदम उठाने के वास्ते जरूरी आंकड़े साझा करने की राज्य सरकार की मांग से केंद्र को अवगत कराएं।
हाल में कोश्यारी ने ठाकरे को पत्र लिख कर आगामी विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाने तथा सदन के अध्यक्ष पद को तत्काल भरने को कहा था। इसके लिए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाई गई मांग का हवाला दिया था।
राज्यपाल के पत्र के जवाब में ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर और संभावित तीसरी लहर की स्थिति को देखते हुए विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाई नहीं जा सकती। उन्होंने कहा, “चिकित्सा विशेषज्ञों ने तीसरी लहर का दावा किया है।”
ठाकरे ने कहा कि राज्य में लोगों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी और राज्य के कई जिलों में वायरस के डेल्टा स्वरूप से जुड़ी खबरें आने के मद्देनजर मॉनसून सत्र को दो दिन का रखने का निर्णय लिया गया है।