कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को कहा कि उन्हें 99 प्रतिशत उम्मीद है कि 31 जनवरी तक केंद्रीय नेतृत्व से बहुप्रतिक्षित मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से गुरुवार शाम को मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा के लिए मिलने का समय मिला है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने के लिए उनकी उपलब्धता को देख रहे हैं।
बेंगलुरु से रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद कल सुबह वे वापस लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि वे दिल्ली मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा करने के लिए आ रहे हैं।’’ उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना के बारे में कहा, ‘‘99 फीसदी उम्मीद है कि इसकी मंजूरी मिल जाएगी और उसके बाद वे दिल्ली से वापस लौट आएंगे।’’ पार्टी सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री नये मंत्रियों के शपथ दिलाने के साथ मंत्रिमंडल विस्तार का काम करेंगे और ज्यादा उम्मीद है कि यह शुक्रवार को ही होगा। इस बीच मुख्यमंत्री के दिल्ली रवाना होने से पहले विधायक मुर्गेश नीरानी और के सुधाकर सहित मंत्री पद के अकांक्षी कई विधायकों ने उनके आवास पर जा कर उनसे मुलाकात की।
येदियरप्पा मंत्री पद के इच्छुक विधायकों की लॉबिंग के बीच केंद्रीय नेतृत्व से मंत्रिमंडल विस्तार की मंजूरी मिलने का उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियां भी मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी को लेकर भाजपा और येदियुरप्पा पर निशाना साध रही है और उनका आरोप है कि वह कमजोर है और प्रशासन निष्क्रय हो गया। मुख्यमंत्री ने पहले ही साफ कर दिया कि जनता दल और कांग्रेस से बगावत करने के कारण अयोग्य ठहराए गए और भाजपा की टिकट पर दोबारा चुने गए 11 विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा। इसलिए अब बाकी बचे मंत्री पद को लेकर विधायक प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व सभी 11 विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने का इच्छुक नहीं है। पार्टी के प्रति वफादार रहे नेताओं को मौका देना चाहता है। बता दें ऐसी खबर है कि येदियुरप्पा कुछ पदों को अभी खाली रख सकते हैं। येदियुरप्पा के मौजूदा मंत्रिमंडल में उन्हें लेकर करीब 18 मंत्री हैं जबकि राज्य में 34 मंत्री बनाए जा सकते है। सूत्रों ने बताया कि येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल विस्तार करना आसान नहीं होगा क्योंकि उन्हें अपने वादे के मुताबिक जीतने वाले अयोग्य विधायकों को शामिल करना होगा और साथ ही पार्टी के पुराने नेताओं को भी मौका देना होगा।
पहले मंत्रिमंडल विस्तार में कई नेता अपनी अनदेखी किए जाने से नाराज हैं। येदियुरप्पा को विभिन्न जातियों और क्षेत्रों को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देना होगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि उपचुनाव में हारने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी। इसके बावजूद एएच विश्वनाथ और एमटीबी नागराज को मंत्री बनाने की मांग हो रही है।