दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को कहा कि वह पश्चिम बंगाल में एक निजी कंपनी को कोयला खदान आवंटन में अनियमितताओं के लिये दोषी ठहराए गए पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और पांच अन्य को पांच दिसंबर को सजा सुनाएगी। विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने सजा की अवधि को लेकर दलीलों पर सुनवाई पूरी कर ली।
सीबीआई ने पांचों दोषियों को अधिकतम सात साल के कारावास और निजी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की। एच सी गुप्ता और चार अन्य दोषियों के वकील ने सजा में नरमी बरते जाने की मांग की। गुप्ता के वकील ने कहा कि वह 70 साल के हैं और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके परिवार का गुजारा चलाने के लिये उनके पास सिर्फ पेंशन का सहारा है।
गत 30 नवंबर को कोर्ट ने गुप्ता, निजी फर्म विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड के साथ-साथ कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर रहे और अभी भी सेवारत के एस क्रोफा और कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-1) के सी सामरिया को मामले में दोषी ठहराया था। कोर्ट ने कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास पाटनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक को भी मामले में दोषी ठहराया था।
यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला खदानों को वीएमपीएल को देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। सीबीआई ने सितंबर 2012 में इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।