महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ मुंबई के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए गठित न्यायमूर्ति चांदीवाल समिति को दीवानी अदालत (सिविल कोर्ट) की शक्तियां प्रदान कर दी हैं।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 20 मार्च को लिखे पत्र में सिंह द्वारा देशमुख पर लगाए गए आरोपों की न्यायिक जांच करने के लिए 30 मार्च को एक सदस्य समिति गठित की गई थी। समिति में हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल हैं। सिंह ने मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाकर राज्य होम गार्ड्स का महानिदेशक नियुक्त करने के बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
तीन मई को जारी अधिसूचना में राज्य सरकार ने जांच समिति को दीवानी अदालत की शक्तियां दे दीं। सिंह ने आरोप लगाया था कि राकांपा नेता देशमुख ने कुछ पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बार व रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये प्रत्येक माह इकट्ठा करने का लक्ष्य दिया था।
जांच समिति गठित करने के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सरकार की आलोचना करते हुए दावा किया था कि समिति को न्यायिक आयोग नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि उसे जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत शक्तियां नहीं दी गई हैं।
देशमुख ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया और पांच अप्रैल को तब इस्तीफा दे दिया था जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को भ्रष्टाचार के आरोपों में उनके खिलाफ शुरुआती जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने बाद में देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और उनके मुंबई एवं नागपुर के परिसरों पर तलाशी ली।
देशमुख ने हाल में प्राथमिकी रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह प्राथमिकी पक्षपातपूर्ण, संदिग्ध और गुप्त मंशा से उन लोगों के कहने पर दर्ज की गई है जो उनके खिलाफ राजनीतिक या अन्य प्रतिशोध की भावना रखते हैं।