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मध्यप्रदेश में 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति, 68 अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई

मध्यप्रदेश में सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के प्रयासों के बीच स्कूल शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए पहले चरण में 84 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई प्रारंभ की है, जिनमें से 16 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गयी है।

मध्यप्रदेश में सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने के प्रयासों के बीच स्कूल शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए पहले चरण में 84 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई प्रारंभ की है, जिनमें से 16 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान की गयी है। दरअसल मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से आयोजित दसवीं की परीक्षा में काफी दयनीय परिणाम देने वाले विद्यार्थियों से जुड़े शिक्षकों को पिछले छह माह के दौरान विभागीय परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ा। 
इसके बाद 84 ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार की गयी, जो कसौटी पर खरे नहीं उतरे और अंतत: उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। राज्य की लोक शिक्षण आयुक्त जयश्री कियावत ने आज यहां  चर्चा में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति संबंधी आदेश कल जारी कर दिए गए। इन शिक्षकों ने बीस वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की आयु पूरी कर ली है। 
इस संबंध में जारी किए गए आदेश के अनुसार ये शिक्षक रायसेन, उमरिया, सतना, अनूपपुर, रीवा, भोपाल, गुना, सिंगरौली और शहडोल जिले के हैं। सोलह शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान करने के अलावा 20 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले दो शिक्षकों की भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति संबंधी कार्रवाई आगे बढ़यी जा रही है। इसके साथ ही 20 शिक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश जारी किए गए हैं। 
स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार इन 84 शिक्षकों में से 20 शिक्षक आदिम जाति कल्याण विभाग के हैं, इसलिए उनके संबंध में कार्रवाई के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग को लिखा गया है। इसके अलावा 26 शिक्षक ऐसे हैं, जो मूल रूप से माध्यमिक स्कूल के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए पदस्थ थे, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें हाई स्कूल के विद्यार्थियों को पढ़ने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। ऐसे शिक्षकों को वापस माध्यमिक स्कूल में ही भेजने के आदेश जारी किए गए हैं।

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