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कांग्रेस ने लगाया गुजरात सरकार पर ओबीसी पैनल रिपोर्ट दबाये रखने का आरोप

गुजरात सरकार पर नगर निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और उसके प्रभावों का अध्ययन करने वाली एक रिपोर्ट को जानबूझकर दबाये रहने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने इस संबंध में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से हस्तक्षेप की मांग की है और कहा है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए यह जरूरी कवायद है।

गुजरात सरकार पर नगर निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और उसके प्रभावों का अध्ययन करने वाली एक रिपोर्ट को जानबूझकर दबाये रहने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने इस संबंध में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से हस्तक्षेप की मांग की है और कहा है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए यह जरूरी कवायद है।कांग्रेस ने दावा किया कि के एस झावेरी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किये जाने के कारण कारण पांच साल के कार्यकाल के बाद भी कई नगर निकायों के चुनाव नहीं कराये जा सके हैं।
वरिष्ठ विधायकों अमित चावड़ा एवं अर्जुन मोधावाडिया के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने गांधीनगर में राजभवन में देवव्रत से भेंट की और एक ज्ञापन सौंपकर उनसे इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कराने तथा ओबीसी आरक्षण की सिफारिश के आधार पर चुनाव की घोषणा कराने में हस्तक्षेप करने की मांग की।विपक्षी दल ने आरोप लगाया, ‘‘ आयोग का कार्यकाल 12 मार्च को खत्म हो गया लेकिन ओबीसी के राजनीतिक अस्तित्व को खत्म करने की साजिश के तहत वह यह रिपोर्ट जारी नहीं कर रही है जबकि गुजरात में ओबीसी कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत है।’’
ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित की गयी 
स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति एवं परिणाम के बारे में आंकड़े जुटाने एवं उसका विश्लेषण करने के लिए पिछले साल जुलाई में गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) के एस झावेरी की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया था।राज्यपाल से भेंट के बाद चावड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि पहले, ग्राम पंचायतों एवं नगरपालिकों जैसे स्थानीय निकायों में 10 प्रतिशत सीट ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित की गयी थीं।
 राजनीतिक प्रतिनिधित्व को समाप्त करने की इस साजिश
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन साजिश के तहत ओबीसी के राजनीतिक अस्तित्व को समाप्त करने के प्रयास किये गये। कांग्रेस के विरोध के बाद भाजपा सरकार ने पिछले साल झावेरी आयोग का गठन किया।सरकार द्वारा दो बार उसका कार्यकाल बढ़ाये जाने के बाद उसका कार्यकाल इस साल मार्च में समाप्त हुआ। लेकिन अबतक उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी है। ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को समाप्त करने की इस साजिश के पीछे कौन है?’’

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