मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश के भीतर अपने संगठन को एक बार फिर मजबूत करने की कवायद में जुट गया है। पार्टी में इस बात को लेकर आम सहमति बनी है कि आगामी चुनाव प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ की ही अगुवाई में लड़ा जाएगा। राज्य में कांग्रेस पिछले कुछ समय से बिखरी हुई नजर आ रही है। तमाम नेताओं में दूरियां लगातार बढ़ी है और इसने सभी को परेशान कर रखा है।
कांग्रेस ने वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ा था
वहीं, दूसरी तरफ, पार्टी के तमाम नेता यह मान चुके हैं कि इन हालातों में आगामी विधानसभा चुनाव उनके लिए आसान नहीं रहने वाला। लिहाजा एकजुट होने में ही सबकी भलाई है। कांग्रेस ने वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ा था और तब उनके पास ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे, इस बार सिंधिया उनके विरोधी हैं। इसके साथ ही कांग्रेस में बिखराब बना हुआ है। कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और अजय सिंह अलग-अलग नजर आते हैं। इससे पार्टी चिंतित है। परिणामस्वरुप, सोमवार को कमलनाथ के आवास पर वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई गई। जिसमें तमाम बड़े चेहरे नजर आए।
2023 का विधानसभा चुनाव इन मुद्दों पर लड़ेगी कांग्रेस
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ की अध्यक्षता में एक अति महत्वपूर्ण बैठक आहूत हुई। भाजपा के कुशासन के खिलाफ कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर राहुल गांधी एवं कमलनाथ के नेतृत्व में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है, प्रदेश में आर्थिक अराजकता और समाज में समरसता का अभाव है। जिससे किसान और नौजवान परेशान हैं। 2023 का विधानसभा चुनाव पार्टी शिवराज सरकार के कुशासन, भ्रष्टाचार, किसानों के संकट और दूसरे आर्थिक सामाजिक मुद्दों पर लड़ेगी।
मध्य प्रदेश के ऊपर चार लाख करोड़ का कर्ज हो गया है
पटवारी ने कहा कि कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश की जनता के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने के लिए आंदोलन की विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली गई है और जल्द ही प्रदेश की जनता देखेगी कि कांग्रेस पार्टी कैसे सड़क से लेकर विधानसभा तक पूरे प्रदेश में जनता के मुद्दों पर जन आंदोलन खड़ा करेगी। तरुण भनोट ने कहा कि मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। प्रदेश के ऊपर चार लाख करोड़ का कर्ज हो गया है। ऐसे हालात में प्रदेश की जनता के ऊपर डीजल, पेट्रोल, गैस, बिजली और हर किस्म की महंगाई लादी जा रही है।
शिवराज सरकार का चेहरा पूरी तरह जनविरोधी हो गया है। उन्होंने कहा कि बैठक में फैसला किया गया है कि कांग्रेस पार्टी महंगाई किसान और बेरोजगारी के मुद्दे पर बड़े पैमाने पर जनता को जागरूक करेगी। पिछले विधानसभा चुनाव के लगभग साढे तीन साल बाद कांग्रेस एक बार फिर एकजुट होने की कोशिश में लगी है, अब बड़ा सवाल है कि पार्टी के नेता एकजुट सिर्फ बैठक में दिखे या आगे भी सक्रिय नजर आएंगे।