कांग्रेस से त्यागपत्र दे चुके विधायकों ने बेंगलुरु में मंगलवार को मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार पर जमकर आरोप लगाया। जिसके बाद जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने दावा किया कि ये विधायक दबाव में बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 22 में से छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार हो चुके हैं और वे कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे।
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले तक तो वे मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके कार्यों की जमकर प्रशंसा करते थे, लेकिन अब क्या हो गया जो उन्हीं मुख्यमंत्री के खिलाफ बोल रहे हैं। इसकी वजह साफ है कि ये विधायक और पूर्व विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबाव में हैं। इस मौके पर इन पूर्व मंत्रियों के कुछ वीडियो भी दिखाए गए, जिनमें वे कमलनाथ सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने दावा करते हुए कहा कि यदि ये विधायक मध्यप्रदेश आ जाएं और स्वतंत्र रूप से रहकर विचार करेंगे, तो फिर से कमलनाथ सरकार को न सिर्फ समर्थन करेंगे, बल्कि फिर से उनकी प्रशंसा करेंगे। बहुमत साबित करने के बारे में कांग्रेस नेता ने कहा कि अभी‘फ्लोर’ही पूरा नहीं है, तो फिर फ्लोर टेस्ट कैसा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि पहले बेंगलुरु में बंधक विधायकों को लाया जाए।
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राज्य से संबंधित मौजूदा मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचने के संबंध में कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा विश्वास है। वहां से जो नोटिस या आदेश आएगा, उसका पूरा पालन किया जाएगा। उन्होंने राज्य की कमलनाथ सरकार की ओर से लगभग पंद्रह माह में उठाए गए कदमों के बारे में बताया और कहा कि उन्होंने आदिवासियों, किसानों और अन्य सभी वर्गों के हित में बहुत कुछ किया है।
बता दें कि इसके पहले मंगलवार कांग्रेस के बागी हुए और विधानसभा से त्यागपत्र दे चुके 22 विधायकों ने कहा कि वे बगैर किसी दबाव के अपनी स्वेच्छा से बंगलूर आए हुए हैं। उन्होंने कमलनाथ सरकार से नाराजगी की वजह भी बतायीं और पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ देने की बात दोहरायी। विधायकों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ मिलने के लिए समय नहीं देते हैं। उनके क्षेत्रों के कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं।