पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण राज्य से बाहर फंसे लोगों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि उन लोगों तक पहुंचने के लिए किए जा रहे प्रयायों की वह व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगी।
ममता ने कहा कि राजस्थान के कोटा शहर में फंसे छात्रों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है और वे जल्द ही अपने घर लौटने के लिए यात्रा शुरू करेंगे। उन्होंने जोर दिया कि जब तक वह मुख्यमंत्री हैं पश्चिम बंगाल के कहीं भी फंसे लोगों को असहाय महसूस करने की जरूरत नहीं है।
I am personally overseeing this & we will leave no stone unturned in ensuring that everyone gets any possible help. The initiation has already started & all students from Bengal stuck in Kota would begin their journey back soon. (2/2)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 27, 2020
ममता ने ट्वीट कर कहा कि “पश्चिम बंगाल सरकार लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे बंगाल के लोगों को घर लौटने में हरसंभव मदद शुरू करेगी। मैंने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जरूरतमंदों की मदद करें। जब तक मैं यहां हूं, बंगाल के किसी भी निवासी को असहाय महसूस नहीं करना चाहिए। मैं इन कठिन समय में आपके साथ हूं।”
उन्होंने कहा कि “मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी निगरानी कर रही हूं और हम यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि सभी को जरूरी मदद मिले। प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और कोटा में फंसे बंगाल के सभी छात्र जल्द ही अपने घर लौटेंगे।”
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पिछले हफ्ते मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कोटा में फंसे लगभग 5,000 छात्रों को वापस लाने में असमथर्तता जतायी थी। उन्होंने कहा था कि इस समय उन्हें ला पाना संभव नहीं है। कोटा इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला के लिए तैयारी कराने वाले संस्थानों का एक प्रमुख केंद्र है। सिन्हा ने छात्रों और उनके परिवारों से कुछ और दिनों के लिए धैर्य रखने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि हमें 300 बसों की जरूरत होगी और उसे कोटा से पश्चिम बंगाल के रास्ते में तीन रात ठहरने की जरूरत होगी। इतने लोगों को राजस्थान से पश्चिम बंगाल लाना संभव नहीं है।