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केरल विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री की पत्नी की नियुक्ति पर विवाद बढ़ा, कांग्रेस ने पक्षपात का आरोप लगाया

केरल विश्वविद्यालय में मलयालम लेक्सिकॉन विभाग में पूर्णिमा मोहन की नियुक्ति को लेकर नाराज कांग्रेस के छात्रों और युवा कार्यकतार्ओं ने पक्षपात और सभी मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया।

केरल के मुख्यमंत्री अकसर विपक्षी कांग्रेस के निशाने पर रहते है, ऐसे में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ एक ओर विवाद जुड़ गया है। दरअसल, केरल विश्वविद्यालय में मलयालम लेक्सिकॉन विभाग में पूर्णिमा मोहन की नियुक्ति को लेकर नाराज कांग्रेस के छात्रों और युवा कार्यकतार्ओं ने पक्षपात और सभी मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। 
पूर्णिमा मोहन आर. मोहनन की पत्नी हैं, जो मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के कार्यालय में ओएसडी हैं। सोमवार की सुबह प्रदर्शनकारी उनके कमरे में घुस गए और नारेबाजी की। असहाय पूर्णिमा ने कहा कि उसने कुछ गलत नहीं किया है और उसने अधिसूचना देखकर प्रतिनियुक्ति पद के लिए आवेदन किया था। पूर्णिमा ने नारेबाजी करते हुए छात्रों से कहा, मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और मुझे नौकरी मिल गई। मैंने कुछ गलत नहीं किया।
यह मुद्दा तब सामने आया जब ‘विश्वविद्यालय बचाओ अभियान समिति’ ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से शिकायत की कि वह संस्कृत के कलाडी श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय में एक संस्कृत शिक्षिका हैं, जिन्हें मलयालम लेक्सिकॉन का संपादक नियुक्त किया गया है, जो कि योग्यता दिशानिदेशरें का पूर्ण उल्लंघन था।
शिकायतकर्ता का कहना है कि विश्वविद्यालय के योग्य मलयालम प्रोफेसरों की अनदेखी के बाद संस्कृत शिक्षक की नियुक्ति कैसे की जा सकती है। वे कहते हैं कि यह विश्वविद्यालय के कानून के खिलाफ है, क्योंकि केवल भाषा में पारंगत व्यक्ति ही इस पद के लिए पात्र हैं।
लेकिन केरल विश्वविद्यालय ने हालांकि बताया है कि नियुक्ति विशेषज्ञों की एक चयन समिति द्वारा की गई थी। अतीत में इस कुर्सी पर बैठने वालों में मलयालम के विद्वान जैसे सूरनाद कुंजन पिल्लै, बी.सी. बालकृष्णन और पी. सोमशेखरन नायर थे। यह पोस्ट का मासिक वेतन 2 लाख रुपये है।

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