तेलंगाना के मंत्री के. टी. रामाराव ने 2002 के दंगों के दौरान बिल्कीस बानो सामूहिक बलात्कार और उसके परिजनों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की। रामाराव ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आपने महिलाओं के सम्मान के बारे में जो कहा था अगर आपका वास्तव में वही मतलब था, तो आपसे आग्रह है कि आप हस्तक्षेप करें और 11 बलात्कारियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करें।’’
मंत्री ने एक बाद एक कई ट्ववीट करके रखी अपनी बात
वही उन्होंने कहा, ‘‘इसे हल्के ढंग में लेना निराशाजनक और गृह मंत्रालय के आदेश के खिलाफ है। आपको राष्ट्र को दूरदर्शिता दिखाने की जरूरत है।’’ मामले में आजीवन कारावास के सभी 11 दोषियों को गुजरात में लागू रिहाई की नीति के तहत छोड़ा गया था। सभी आरोपियों की 2008 में दोषसिद्धि हुई थी।
असदुद्दीन ओवैसी ने भी दोषियों की रिहाई की निंदा की थी
इसी के साथ आगे उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में आवश्यक संशोधन करने का भी आग्रह करता हूं, ताकि किसी भी बलात्कारी को न्यायपालिका के माध्यम से जमानत नहीं मिल सके। मजबूत कानून ही यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि न्यायपालिका तेजी से काम कर सकती है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकती है।’’
हम आपको बता दें, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को गोधरा दंगों के बाद बिल्कीस बानो मामले में बलात्कार और हत्या के दोषियों की रिहाई की निंदा की थी और कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में महिला सशक्तिकरण की बात की थी, लेकिन इन दोषियों की रिहाई के साथ क्या उदाहरण दिया जा रहा है।