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कोरोना संदेह पर हॉस्पिटल ने बुजुर्ग को भर्ती करने से किया मना, हुई मौत

कोलकाता निवासी आलम ने बताया कि डॉक्टर ने दरभंगा के एक हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती अहमद याहिया को बेहतर इलाज के लिए यहां लाने की सिफारिश की।

कोरोना संकट के बीच कोलकाता के एक प्राइवेट हॉस्पिटल का बेहद ही अमानवीय व्यवहार सामने आया है। हॉस्पिटल ने बुजुर्ग मरीज के कोविड​​-19 से संक्रमित होने की आशंका को लेकर भर्ती करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद बुजुर्ग की मौत हो गई। मरीज के परिजन ने हॉस्पिटल पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
मरीज के एक रिश्तेदार ने बताया कि दरभंगा के रहने वाले शाहिद अहमद याहिया को उनका इलाज करने वाले डॉक्टर की सिफारिश पर अपोलो ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए नौ मई को कोलकाता लाया गया था। याहिया पार्किन्सन रोग से पीड़ित थे, जो कोलकाता स्थित एक चिकित्सक के संपर्क में थे। 
कोलकाता निवासी आलम ने बताया कि डॉक्टर ने दरभंगा के एक हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती अहमद याहिया को बेहतर इलाज के लिए यहां लाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन से आवश्यक पास प्राप्त करने के बाद हम एक आईसीयू एम्बुलेंस में दरभंगा से आए और सीधे उन्हें अपोलो ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल ले गए।’’ 
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आलम ने कहा, ‘‘डॉक्टरों ने हमें कुछ घंटों तक इंतजार कराया और फिर उनकी कुछ जांच की गई, जिस दौरान मेरे ससुर हॉस्पिटल के गलियारे में स्ट्रेचर पर लेटे हुए थे।’’ उसने बताया कि एक डॉक्टर ने अचानक कहा कि उनके कोविड-19 से संक्रमित होने की आशंका है और उन्हें एमआर बांगुर हॉस्पिटल या किसी अन्य सरकारी हॉस्पिटल में ले जाना चाहिए जो कोरोना वायरस के मामलों का इलाज कर रहा है। 
आलम ने कहा, ‘‘मेरे ससुर को संक्रमण का कोई लक्षण नहीं था। मुझे नहीं पता कि अपोलो में डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार क्यों किया। उन्होंने उन्हें कोविड-19 का संदिग्ध बताया और उन्हें कोरोना वायरस रोगियों का इलाज करने वाले एक सरकारी हॉस्पिटल में रेफर कर दिया।’’ 
याहिया के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उनकी हालत बहुत गंभीर थी, लेकिन उनके इलाज के बजाय, अपोलो ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बहुत अधिक महत्वपूर्ण समय बर्बाद किया। हालांकि, इस आरोप से हॉस्पिटल के अधिकारियों ने इनकार कर दिया।
अपोलो ग्लेनिगल्स हॉस्पिटल के एक अधिकारी ने कहा कि हर मरीज की जांच कोविड-19 के लिए की जा रही है और अगर मरीज को संदिग्ध पाया जाता है तो भर्ती से पहले इसकी पुष्टि के लिए जांच आवश्यक हो जाता है। याहिया को फिर ईएम बाईपास से दूसरे निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहां भी उन्हें भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद, उन्हें सरकारी एमआर बांगुर हॉस्पिटल ले जाया गया। 
आलम ने कहा, ‘‘उन्हें 9 मई को एमआर बांगुर हॉस्पिटल के क्वारंटाइन में भर्ती कराया गया था और 11 मई को तड़के करीब 4.15 बजे उनकी मृत्यु हो गई।’’ याहिया को कोविड-19 जांच में संक्रमित नहीं पाया गया था। आलम ने कहा, ‘‘हम न्याय चाहते हैं और डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे जिन्होंने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया था।’’

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