पटना : बिहार कृषि प्रधान राज्य होने के बाद भी किसानों की स्थिति ज्यों का त्यों बना हुआ है। आज एक महीना बीत गया जहां सरकार के एजेंडें में 15 नवम्बर को ही धान क्रय केन्द्र खोला जाना था लेकिन आज तक नहीं खोला। ये बातें आज समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र प्रसाद यादव ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से वार्तालाप करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि किसान अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी एवं शादी विवाह के लिए औने-पौने दाम पर बिचौलियों के हाथों धान बिक्री कर रहे हैं।
धान की लागत मूल्य तो दूर की बात है अभी तक धान खरीदा भी नहीं गया। जबकि इस वर्ष 30 लाख मे. टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। एक तरफ फसल नहीं हो रहा है वहीं राज्य भूमि लगाने एक हजार गुणा बढ़ा दिया गया है। डीएपी खाद का मूल्य आसमान छू रहा है, राज्य में 90 प्रतिशत राजकीय नलकूप बंद पड़ा है,
राजकीय नलकूप सिंचाई का सबसे बड़ा साधन है। सरकार का कृषि रोड मैप का हाल टांय-टांय फीस है जहां राज्य और लोगों का कहना है कि केन्द्र सरकार किसानों काक र्ज माफ करेगा। लेकिन साढ़े चार साल बीत गया और सारा बजट लोकसभा में आ गया अब तक अप्रैल 2019 में चुनाव होने जा रहा है अब केन्द्र सरकार के पास देने के लिए क्या बचा है। समाजवादी पार्टी चौधरी चरण सिंह के जयंती दिवस पर किसान संघर्ष दिवस के रूप में मनायेगी।
गरीब, किसान बेरोजगारों के आवाज को लेकर जेल भरो आन्दोलन, महाधरना, चक्का जाम सभी जिला के समाहरणायों में चलाया जायेगा। जबकि केन्द्र सरकार ने बिहार को लॉलीपाप दिखाया था कि कमाई, दवाई और पढ़ाई तीनों का खर्च में देंगे। मगर खर्च देना तो दूर की बात है उन्होंने कहा कि बिहार के किसान सडक़ पर आ गये। इस तरह से अगर बेरोजगारी का आबादी बढ़ता गया तो देश एक दिन बिकराल रूप ले लेगी। बेरोजगारी के कारण ही गरीबी बढ़ी है,
साढ़े चार साल बाद फिर से राम मंदिर का राग अलापने लगा। अन्नदाता कर्ज में डूबे हुए हैं किसान प्रतिदिन फांसी का पफंदा चूम रहे हैं। एक तरफ कॉरपोरेट घराना के लिए रुपया माफ किया जा रहा है जिसका लड़ाई रिजर्ब बैंक और केन्द्र सरकार में है। वहीं अन्न उपजाने वाले किसानों को न्याय क्यों नहीं दे रहा है छोटे से कर्ज के कारण किसानों का बैैल खोलकर ले जा रहे हैं और कर्ज नहीं चुकाने पर उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर किया जा रहा है।