उत्तराखंड में कोरोना की जांच संदेह के घेरे में हैं। इसी बीच हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान कोरोना टेस्ट में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है। वही उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बुधवार को कोरोना जांच रिपोर्टों में हुए कथित भ्रष्टाचार को ‘मानवता के प्रति अपराध’ बताते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से इस मामले की अविलंब सक्षम एजेंसी से जांच करवाने की मांग की।
इसी बीच प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी इस प्रकरण की जांच हाई कोर्ट के सेवारत न्यायाधीश से कराए जाने या राज्य सरकार से इस्तीफा देने की मांग की है। प्रकरण उजागर होने के बाद प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कुंभ के दौरान निजी जांच प्रयोगशालाओं ने कम से कम कोरोना की एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी कीं।
मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में उपाध्याय ने कहा कि कुंभ मेले में कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट जारी करने से संबंधित वर्तमान प्रकरण अत्यंत गंभीर है और लोगों की ज़िन्दगी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, ” कुंभ मेले के बाद जिस तरह कोरोना का क़हर बरपा, वह कल्पनातीत है।
उत्तराखंड का कोई घर नहीं है, जहां इसका दुष्प्रभाव न पड़ा हो। घर के घर तबाह हो गये। 25-40 आयु वर्ग की जवान मौतें हुईं हैं। कौन इन सबकी ज़िम्मेदारी लेगा?” उपाध्याय ने आरोप लगाया कि कुंभ मेले में इस तरह के भ्रष्टाचार के कारण ही प्रदेश पर कोरोना का यह प्रलय काल आया है।
उन्होंने कहा कि हाल में वह हरिद्वार गए थे जहां हर व्यक्ति की ज़ुबान पर कुंभ मेले में कथित भ्रष्टाचार के किस्से थे। उपाध्याय ने दावा किया कि अखाड़ों और संतों ने खुले रूप से आरोप लगाये कि कुछ छद्म संतों की हथेलियां गरम कर सरकार के पक्ष में बयान दिलवाये गए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा धर्म व भगवान राम के नाम पर सत्तासीन हुई है और कुंभ में भ्रष्टाचार का ‘कलंक’ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की छवि को मटियामेट कर देगा। उन्होंने पत्र में कहा, ” आप की अब तक की छवि निष्ठावान, सज्जन, सीधे और ईमानदार राजनैतिक-सामाजिक कार्यकर्ता की रही है।
कुंभ के घोटालों पर पर्दा डालकर आपको अपने दामन को दागदार नहीं बनाना चाहिये।” उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से इस प्रकरण की जांच सक्षम एजेंसी से करवाने के लिए तुरंत आदेश देने की मांग की। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना ने आरोप लगाया, ” हरिद्वार में उजागर कोविड जांच रिपोर्ट घोटाला शर्मनाक है।
वह सनातनी हिंदु धर्म के लोगों के साथ अब तक का सबसे बड़ा विश्वासघात है।” उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश को सौंपी जानी चाहिए अन्यथा राज्य सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुंभ के दौरान कोविड के प्रसार को नियंत्रित रखने के लिए राज्य सरकार को 50,000 कोविड जांच प्रतिदिन कराने को कहा था, जिसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने 22 प्रयोगशालाओं को इसका जिम्मा सौंपा।
लेकिन, आरोप है कि इस दौरान फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट जारी कर भारी भ्रष्टाचार किया गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इन निजी जांच प्रयोगशालाओं ने कम से कम एक लाख इस प्रकार की फर्जी रिपोर्टें जारी कीं। मामले के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को जांच करके 15 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।