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आक्सीजन छोड़ने वाला गाय एकमात्र पशु: रावत

इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल से नवनिर्वाचित सांसद अजय भट्ट द्वारा संसद में गरूड़ गंगा नदी के पानी के बारे में किये गये दावे से विवाद उत्पन्न हो गया था।

देहरादून : उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के बाद अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी यह कहते हुए एक नया विवाद छेड़ दिया है कि गाय आक्सीजन छोड़ने वाला एकमात्र पशु है। एक वायरल हुए वीडियो में मुख्यमंत्री रावत एक समारोह को संबोधित करते हुए गाय की रोगनाशक शक्तियों का बखान करते दिख रहे हैं। वीडियो में रावत कह रहे हैं, ‘‘गाय एकमात्र पशु है जो आक्सीजन लेता है और छोड़ता है। इसलिये हमने उसे माता का दर्जा दिया है क्योंकि वह हमें प्राणवायु देता है।’’ 
वह यह भी कहते दिख रहे हैं कि गाय की मालिश करने से सांस की तकलीफ दूर हो जाती है और लगातार गाय के संपर्क में रहने से टीबी जैसी बीमारी ठीक हो जाती है। वीडियो में मुख्यमंत्री गाय के गोबर और गौमूत्र के औषधीय गुणों के बारे में भी बता रहे हैं और उनका कहना है कि पशुपालन मंत्री रहते हुए उन्होंने इसके बारे में वैज्ञानिक अध्ययन भी कराया था। हांलांकि, विशेषज्ञ गाय के आक्सीजन छोड़ने की संभावना से इनकार करते हैं और उनका कहना है कि किसी भी अन्य पशु की तरह वह भी कार्बन डाई आक्साइड ही छोड़ती है। 
देहरादून जिले में गाय संरक्षण परियोजना के संयुक्त निदेशक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘‘किसी भी अन्य जीवित प्राणी की तरह गाय भी कार्बन डाई आक्साइड छोड़ती है और यह एक सर्वमान्य तथ्य है।’’ वीडियो में रावत कह रहे हैं, ‘‘गाय का गोबर और गौमूत्र में कितनी ताकत है, हमारे शरीर के लिये, त्वचा के लिये, हृदय के लिये और किडनी के लिये और यह कितना फायदेमंद है, वैज्ञानिक आज इसे प्रमाणित कर रहे हैं।’’ इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल से नवनिर्वाचित सांसद अजय भट्ट द्वारा संसद में गरूड़ गंगा नदी के पानी के बारे में किये गये दावे से विवाद उत्पन्न हो गया था। 
भट्ट ने दावा किया था कि बागेश्वर में बहने वाली गरूड़ गंगा नदी के पानी को अगर पत्थर से घिसकर गर्भवती महिला को पिला दिया जाये तो उसे प्रसव के लिए आपरेशन की जरुरत नहीं पड़ेगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने हांलाकि मुख्यमंत्री का यह कहते हुए बचाव किया कि उन्होंने वही कहा है जो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में आम मान्यता है। नाम उजागर न किये जाने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘गाय के दूध और गौमूत्र के औषधीय गुणों के बारे में सब जानते हैं और पहाड़ के लोग यह भी विश्वास करते हैं कि वह हमें आक्सीजन देती है।’’ 

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