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गुजरात के दो सरकारी अस्पतालों में अब तक 200 बच्चों की मौत, सवाल पर CM ने साधी चुप्पी

इनमें से प्रत्येक 1000 में से 30 की मृत्यु कुपोषण, समय से पहले जन्म या माताओं के समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के चलते हो जाती है।’’

अहमदाबाद : गुजरात के राजकोट जिले में गत वर्ष दिसम्बर में 200 शिशुओं की मौत हो गई। यह जानकारी रविवार को एक अधिकारी ने दी। यह जानकारी पिछले महीने राजस्थान के कोटा स्थित एक राजकीय अस्पताल में 100 बच्चों की मौत की पृष्ठभूमि में सामने आयी है। 
राजकोट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मनीष मेहता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार राजकोट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में पिछले वर्ष दिसम्बर में 200 शिशुओं की मौत हो गई। वहीं नवम्बर में 71 और अक्टूबर में 87 शशुओं की मौत हुई थी।’’ उन्होंने कहा कि दिसम्बर में शिशुओं की मौत के मामलों में बढ़ोतरी रेफर किये गए ऐसे मरीजों की संख्या में वृद्धि के चलते हुई जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। 
मेहता ने कहा कि शिशुओं की मौत के मामलों में बढ़ोतरी कम वजन के बच्चों के जन्म के मामले बढ़ने की वजह से भी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए मासिक बैठकें करते हैं। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक जी एच राठौड़ ने संवाददाताओं से कहा कि अस्पताल में गत दिसम्बर में 85 शिशुओं की मौत हो गई। 
राठौड़ ने कहा, ‘‘दिसम्बर में 85 शिशुओं की मौत हो गई, नवम्बर में 74 और अक्टूबर में 94 शिशुओं की मौत हुई थी। 2018 की तुलना में मृत्यु दर में 18 फीसदी की कमी आई है।’’ राठौड़ ने पहले के आंकड़े नहीं दिये। उन्होंने कहा कि ऐसी मौतों के मुख्य कारणों में अस्पताल में रेफर किये गए बच्चों का समय पूर्व जन्म, जन्म के समय वजन कम होने के साथ ही संक्रमण शामिल है। 
आंकड़ों पर प्रतिक्रिया जताते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने कहा कि प्रति 1000 पर शिशु मृत्यु दर 30 है। मंत्री ने कहा, ‘‘प्रतिवर्ष 12 लाख शिशुओं का जन्म होता है। इनमें से प्रत्येक 1000 में से 30 की मृत्यु कुपोषण, समय से पहले जन्म या माताओं के समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के चलते हो जाती है।’’ 

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