ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की पूजा-अर्चना की अनुमति देने और परिसर में मुसलमानों के प्रवेश पर पाबंदी का आदेश देने का आग्रह करने वाली याचिका की सुनवाई करने या नहीं करने पर वाराणसी की फास्ट ट्रैक अदालत अब 17 नवंबर को अपना फैसला सुनायेगी।
17 नवंबर को होगा याचिका पर फैसला
जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता सुलभ प्रकाश ने बताया कि वाराणसी की फास्ट ट्रैक अदालत में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) महेंद्र पांडेय ने फैसला सुनाने के लिए 17 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।इस मामले में अपनी सुनवाइयों के दौरान सिविल जज ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद याचिका की पोषणीयता पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत अपनी पिछली सुनवाई की तारीख आठ नवंबर को इस पर फैसला सुना सकती थी, मगर मामले की सुनवाई कर रहे सिविल जज महेंद्र पांडेय के अवकाश पर जाने के कारण सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की गयी थी। लेकिन अदालत ने सोमवार को 17 नवंबर की तारीख तय की।
मुकदमे को फास्ट ट्रैक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था
गौरतलब है कि वादी किरण सिंह ने 24 मई को वाद दाखिल किया था, जिसमें वाराणसी के जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के साथ ही विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया था।बाद में 25 मई को जिला अदालत के न्यायाधीश ए. के. विश्वेश ने मुकदमे को फास्ट ट्रैक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। वादी ने अपनी याचिका में ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों का प्रवेश निषेध, परिसर हिंदुओं को सौंपने के साथ ही परिसर में मिले कथित शिवलिंग की नियमित तौर पूजा-अर्चना करने का अधिकार देने का अनुरोध किया गया है।