मुंबई में डांस बार के संचालन को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि उसने एक भी डांस बार को संचालन की अनुमति क्यों नहीं दी। और कहा कि क्या राज्य में पूरी तरह से नैतिकता की ठेकेदारी चल रही है। कोर्ट ने कहा क राज्य सरकार ने जो सख़्त शर्ते थोपी है, उनके चलते एक भी बार का चलना मुश्किल हो रहा है।
जस्टिस ए के सीकरी ने कहा, ‘वक्त बदल गया है और उसके साथ ही अश्लीलता की परिभाषा बदली है, पहले प्यार दिखाने के लिए फ़िल्म निर्देशक दो फूलों और दो चिड़ियों को चहचहाते हुए दिखा देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए पीठ ने कहा कि उसने अदालत के बार-बार के आदेशों के बाद भी डांस बार संचालन के लिए एक भी लाइसेंस नहीं दिया है।
पीठ ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि राज्य में पूरी तरह से नैतिकता की ठेकेदारी चल रही है। ‘महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे और अधिवक्ता निशांत आर कटनेश्वरकार ने कहा कि डांस बार का लाइसेंस मांगने वाले सभी 81 आवेदनों को दमकल विभाग से मंजूरी नहीं मिली। होटल एवं रेस्तरां मालिकों, बार बालाओं और अन्य ने अलग-अलग याचिकाएं दायर करके महाराष्ट्र में होटल, रेस्तरां, बार रूम में अश्लील नृत्य रोकथाम और महिलाओं की गरिमा संरक्षण कानून 2016 को चुनौती दी है।