दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कर्नाटक कांग्रेस के नेता डी.के.शिवकुमार की ओर से दायर याचिका पर उसका रुख तलब किया। शिवकुमार ने एजेंसी की ओर से धनशोधन के आरोप में उनके खिलाफ जारी जांच को चुनौती दी है।न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ ने कर्नाटक विधानसभा सदस्य की याचिका पर एजेंसी को नोटिस जारी किया। शिवकुमार ने भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम के तहत आने वाले आय से अधिक संपत्ति मामले को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘‘ अधिसूचित कृत्य’’ के तौर दर्ज करने की संवैधानिकता को चुनौती दी है।
धनशोधन का मामला नहीं बनता
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के जरिये दायर याचिका में शिवकुमार ने जोर देकर कहा कि ईडी वर्ष 2020 में दर्ज मामले की जो मौजूदा जांच कर रही है उसकी जांच नहीं हो सकती क्योंकि इस मामले की जांच पहले ही वर्ष 2018 में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर हो चुकी है।सिब्बल ने कहा कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में धनशोधन का मामला नहीं बनता है।उन्होंने कहा, ‘‘ एक बार आप इस निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं कि ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति का मामला है तो उसके बाद धनशोधन का मामला नहीं बनता। यह कानून के तहत मामला नहीं बनता।’’
कानून का पूर्ण रूप से दुरुपयोग
सिब्बल ने कहा, ‘‘पूर्ववर्ती अभियोजन में उन्होंने इस तथ्य की जांच की थी। अब चुनाव नजदीक है और उन्होंने चुनाव से पहले यह प्रक्रिया शुरू की है, इसे रोका जाना चाहिए।’’अधिवक्ता मयंक जैन, परमाता सिंह और मधुर जैन के जरिये दी गई अर्जी में याचिकाकर्ता ने कहा कि दूसरी बार जांच की शुरू की गई प्रक्रिया ‘‘कानून का पूर्ण रूप से दुरुपयोग है और अधिकार का गलत इस्तेमाल है। उन्होंने कहा कि यह एक मामले में दो बार मुकदमा चलाने संबंधी संवैधानिक प्रावधान का भी उल्लंघन है।