झारखंड सरकार ने उच्चतम न्यायालय से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताने के लिए उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मंगलवार को मांग की। अनियमितताओं और परिजन एवं सहयोगियों की कुछ मुखौटा कंपनियों के जरिए लेनदेन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताया गया था।
उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई को कहा
झारखंड उच्च न्यायालय ने तीन जून को कहा था कि उसकी राय है यह है कि याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं और उनकी सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जाएगी।झारखंड सरकार ने न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि मामले पर जल्द सुनवाई की आवश्यकता है। यह सूचित किए जाने के बावजूद कि तीन जून के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है।
पहली याचिका मुख्यमंत्री के नाम
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने 24 मई को इस बिंदु पर पहले उच्च न्यायालय को अपना फैसला देने को कहा था कि याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। मामले में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। पहली याचिका में मुख्यमंत्री के नाम पर खनन लाइसेंस आवंटित किए जाने को लेकर, जबकि दूसरी में सोरेन एवं उनके निकट संबंधियों द्वारा धनशोधन के लिए मुखौटा कंपनियों के संचालन के आरोप लगाए गए हैं। जनहित याचिका में आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये गए हैं। सोरेन जब खनन मंत्री थे, उस वक्त सिंघल खनन सचिव थीं। सोरेन ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया है।