बलात्कार के मामले के बावजूद मुंबई महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर, किसी को नहीं होना चाहिए संदेह : शिवसेना - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

बलात्कार के मामले के बावजूद मुंबई महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर, किसी को नहीं होना चाहिए संदेह : शिवसेना

शिवसेना ने सोमवार को कहा कि यहां एक महिला के साथ हुए नृशंस बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया लेकिन मुंबई दुनिया में महिलाओं के लिए ‘‘सबसे सुरक्षित शहर’’ है और इसे लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

शिवसेना ने सोमवार को कहा कि यहां एक महिला के साथ हुए नृशंस बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया लेकिन मुंबई दुनिया में महिलाओं के लिए ‘‘सबसे सुरक्षित शहर’’ है और इसे लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। 
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाएं राज्य की संस्कृति पर एक ‘धब्बा’ हैं और लोगों में गुस्सा उचित है। पुलिस ने पहले कहा था कि उपनगरीय साकीनाका में शुक्रवार तड़के एक खड़े टेम्पो के अंदर एक व्यक्ति ने 34 वर्षीय एक महिला के साथ बलात्कार और क्रूरता की। शनिवार तड़के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। 
मुंबई में हुई दुष्कर्म की इस घटना ने दिल्ली में 2012 में हुए ‘निर्भया’ सामूहिक दुष्कर्म की याद ताजा कर दी। घटना के कुछ घंटों के भीतर गिरफ्तार किए गए 45 वर्षीय संदिग्ध पर बाद में हत्या का आरोप लगाया गया। ‘सामना’ ने कहा, ‘‘साकीनाका में महिला के बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर दिया है लेकिन, मुंबई महिलाओं के लिए दुनिया का अत्यंत सुरक्षित शहर है और किसी के भी मन में इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।’’ 
इसमें कहा गया है कि यहां साकीनाका इलाके में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या जैसी घटनाएं एक ‘‘भयंकर विकृति’’ के कारण होती हैं, जिसे दुनिया के किसी भी हिस्से में देखा जा सकता है और मुंबई की घटना की तुलना हाथरस (उत्तर प्रदेश में जहां पिछले वर्ष 19 वर्षीय दलित युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी) मामले से करना पूरी तरह से गलत है। 
संपादकीय में दावा किया गया कि हाथरस मामले के दोषियों को ‘‘राज्य के हुक्मरानों का प्रश्रय’’ था और दोषियों की गिरफ्तारी में देरी हुई थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सबूत मिटाने के लिए आनन-फानन में पीड़िता के शव को जला दिया था। मराठी दैनिक ने कहा, ‘‘योगी सरकार ने कहा था कि हाथरस में कोई बलात्कार नहीं हुआ, जो गलत साबित हुआ।’’ उसने कहा कि जिस तत्परता के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम साकीनाका पहुंची, वह हाथरस मामले में नहीं दिखाई दी। 
संपादकीय के अनुसार कठुआ (2018 में जम्मू-कश्मीर में एक नाबालिग लड़की की) बलात्कार मामले के आरोपी को ‘‘बचाने’’ के लिए एक विशेष राजनीतिक दल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए, जबकि साकीनाका घटना में पुलिस ने 10 मिनट में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। शिवसेना ने कहा कि ऐसे मामलों का एकमात्र समाधान विकृत मानसिकता पर अंकुश लगाना है। 
इसमें सवाल किया गया है, ‘‘राज्य सरकार ने साकीनाका पीड़िता की दो बेटियों की शिक्षा और आजीविका का ख्याल रखने का फैसला किया है। क्या यह संवेदनशील होने का संकेत नहीं है?’’ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले की इस टिप्पणी का भी बचाव किया कि पुलिस अपराध के सभी दृश्यों पर मौजूद नहीं हो सकती है। पार्टी ने कहा कि अन्य सभी राज्यों और शहरों की पुलिस इससे सहमत होगी। 
इसने कहा कि साकीनाका बलात्कार पीड़िता और आरोपी एक-दूसरे को जानते थे और कहा कि डॉक्टरों और पुलिस के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद महिला ने दम तोड़ दिया। महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा कर रही शिवसेना ने कहा, ‘‘अब, मामले को न्यायपालिका पर छोड़ दें। अपराधी को हाथरस और कठुआ (मामलों) के विपरीत निश्चित रूप से फांसी पर लटकाया जाएगा क्योंकि आरोपी के समर्थन में कोई भी सामने नहीं आया है। किस मुद्दे व प्रकरण पर राजनीति करनी है, इसका भान रखना ही चाहिए।’’ 
इसने कहा कि साकीनाका की घटना पर आंसू बहाना “मन की संवेदनशीलता” को दर्शाता है, लेकिन जब मगरमच्छ के आंसू बहाए जाते हैं, तो यह भय पैदा करता है और घटना की गंभीरता नष्ट हो जाती है। संपादकीय में राज्य के नेताओं से संबंधित कई मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा किये जाने की ओर इशारा करते हुए व्यंग्यात्मक रूप से कहा गया है, ‘‘पुलिस को अपना काम करने दें। लेकिन, अगर कोई साकीनाका (मामले) की फाइल ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को सौंपना चाहता है, तो कोई क्या कर सकता है।’’ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 + twelve =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।