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चुनाव बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक, लोकतांत्रिक मूल्यों की उड़ायी जा रही धज्जियां : धनखड़

पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति को ‘बेहद चिंताजनक’ करार देते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि उन्होंने इस ‘प्रतिशोधात्मक हिंसा’ पर काबू पाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में जानने के लिए मुख्य सचिव एच के द्विवेदी को बुलाया है।

पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति को ‘बेहद चिंताजनक’ करार देते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि उन्होंने इस ‘प्रतिशोधात्मक हिंसा’ पर काबू पाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में जानने के लिए मुख्य सचिव एच के द्विवेदी को बुलाया है।
उन्होंने यह भी दावा किया राज्य पुलिस ‘‘राजनीतिक विरोधियों से बदला लेने के लिए सत्ताधारी व्यवस्था के विस्तार के तौर पर’’ काम कर रही है। धनखड़ ने ट्विटर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि बंगाल में लाखों लोग विस्थापित किये जा रहे हैं एवं करोड़ों रुपयों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ कानून-व्यवस्था का बहुत ही चिंताजनक परिदृश्य। सुरक्षा के माहौल के साथ गंभीर समझौता किया जा रहा है। ऐसी मुश्किल स्थिति में (मैंने) मुख्य सचिव को कानून व्यवस्था के हालात और चुनाव बाद हुई हिंसा पर काबू पाने के लिए उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए सोमवार सात जून को बुलाया है।’’
राज्यपाल ने यह भी आरोप लगाया कि जिन लोगों ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ मत दिया वे “लक्षित हिंसा” से पीड़ित हैं। उन्होंने लिखा, ‘‘राज्य अकल्पनीय स्तर पर चुनाव बाद अप्रत्याशित प्रतिशोधात्मक हिंसा की चपेट में है। लाखों लोग विस्थापित किये जा रहे हैं एवं करोड़ों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लगातार तोड़फोड़ एवं अराजकता से बड़े पैमाने पर आगजनी, लूट और संपत्तियों को नुकसान हुआ है।’’
राज्यपाल ने कहा, ‘‘ अराजक तत्वों के हाथों बलात्कार एवं हत्या की कई घटनाएं हुईं और ऐसे तत्वों को कानून का कोई भय नहीं है।’’ तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में वोट नहीं डालने वालों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत किये जाने एवं लाभों से वंचित करने की घटनाओं की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि उनसे अपने ही घरों में रहने एवं अपना काम-धंधा चलाने के लिए जबरन वसूली की जा रही है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘‘लोकतांत्रिक मूल्यों की सत्तारूढ़ दल के गुंडों द्वार खुलेआम धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। लोगों को पुलिस से जान का डर है, इसलिए वे सत्तारूढ दल के गुंडों के पैरों पर गिर रहे हैं।’’ धनखड़ ने कहा कि राज्य के अधिकारी ‘‘इस समस्या पर काबू पाना तो दूर, इसे स्वीकार भी नहीं कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ पुलिस राजनीतिक विरोधियों पर अपना प्रतिशोध निकालने देने के लिए सत्ताधारी व्यवस्था के विस्तारित अंग के रूप में काम कर रही है। ऐसी गंभीर स्थिति में सात जून को मुख्य सचिव को बुलाया जाए और वह मुझे चुनाव बाद हिंसा पर नियंत्रण कायम करने के लिए उठाये गये कदमों से वाकिफ कराएं।’’

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