कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि केंद्र सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर संविधान संशोधन करना चाहिए, अन्यथा यह सदैव विवाद का विषय रहेगा। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए कहा है ‘केंद्र सरकार को एससी, एसटी, ओबीसी व ओपन केटेगरी के गरीब परिवारों के आरक्षण की सीमा तय करने के लिए संविधान संशोधन कर राज्य सरकारों को 75 प्रतिशत आरक्षण तक का अधिकार दे देना चाहिए।
अन्यथा यह सदैव विवाद का विषय बना रहेगा।’ दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर तत्काल ही प्रतिक्रियाएं भी प्रारंभ हो गयीं। इन दिनों अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण के मुद्दे पर मध्यप्रदेश और देश में राजनेताओं की बयानबाजी चल रही है।
बता दें कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) की अपनी सूची बनाने का अधिकार प्रदान करने वाले एक महत्वपूर्ण संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गयी। आरक्षण की पचास प्रतिशत सीमा को समाप्त करने की विभिन्न दलों की मांग के बीच सरकार ने उच्च सदन में माना कि 30 साल पुरानी आरक्षण संबंधी सीमा के बारे में विचार किया जाना चाहिए।
राज्यसभा में ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को शून्य के मुकाबले 187 मतों से पारित कर दिया गया। सदन में इस विधेयक पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये संशोधनों को खारिज कर दिया गया। यह विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पारित हो चुका है।
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार के सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध होने की बात कही और यह भी कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा 30 साल पहले लगायी गयी थी और इस पर विचार होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जाति आधारित जनगणना की सदस्यों की मांग पर कहा कि 2011 की जनगणना में संबंधित सर्वेक्षण कराया गया था लेकिन वह अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) पर केंद्रित नहीं था। उन्होंने कहा कि उस जनगणना के आंकड़े जटिलताओं से भरे थे।