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दिग्विजय का कमलनाथ को पत्र, कहा, व्यापमं के मुख्य आरोपियों को सजा दिलाएं

दिग्जिवय सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है वर्ष 2013 में चिकित्सा महाविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा के दौरान व्यापम घोटाला उजागर हुआ।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्जिवय सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के मुख्य आरोपियों को कानून के दायरे में लाकर सजा दिलाने के लिए आवश्यक पहल करने की मांग की है। दिग्जिवय सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है, “वर्ष 2013 में चिकित्सा महाविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा के दौरान व्यापम घोटाला उजागर हुआ। 
इस घोटाले को सिर्फ मेडिकल परीक्षा तक सीमित रखा गया। तत्कालीन सरकार ने विद्यार्थियों को मोहरा बनाया और मामले में सिर्फ छात्रों व युवाओं को आरोपी बनाया, जबकि इस घोटाले को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपियों को बचाया गया।”पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने आगे लिखा, “पीएमटी प्रवेश परीक्षा के घोटाले में 1450 छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और उनके परिजनों को भी इस बाबत आरोपी बनाया गया। लगभग तीन हजार लोगों को कुल मिलाकर आरोपी बनाया। यह घोटाला पीएमटी परीक्षा तक सीमित नहीं है, जबकि नौकरी में भर्ती के लिए व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भी घोटाला हुआ। वर्तमान में फर्जी तरीके से चयनित लोग नौकारी कर रहे हैं।” 
सिंह ने हरियाणा में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले का उदाहरण देते हुए कहा, “वहां घोटाला सामने आने पर अभ्यार्थियों को सरकारी गवाह बनाया गया था जिसकी वजह से मुख्य आरोपियों को सजा मिली, जबकि मध्य प्रदेश में अभ्यर्थियों को आरोपी बना दिया गया।”पूर्व मुख्यमंत्री ने व्यापमं के मुख्य आरोपियों को कानून के दायरे में लाकर सजा दिलाने और निर्दोष छात्र-छात्राओं को न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ से आवश्यक पहल का अनुरोध किया है। 
व्यापमं में पहली बार गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया। यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी विद्याíथयों को बैठाने का काम करता था। मुख्यमंत्री चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया। उच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लेकर सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूíत चंद्रेश भूषण की अयक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा। नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की। 
सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ़ पी़ शुक्ला, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुधीर शर्मा, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनंजय यादव, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कम्प्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा मामले में जेल जा चुके हैं। गौरतलब है कि इस मामले में दो हजार से अधिक लोग जेल जा चुके हैं और चार सौ से अधिक अब भी फरार हैं। वहीं 45 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

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