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दिलीप घोष का दावा - जरूरी नहीं कि नवनिर्वाचित विधायकों में से ही किसी को मिले मुख्यमंत्री पद

भाजपा के पक्ष में ‘‘मजबूत लहर’’ होने का दावा करते हुए पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मंगलवार को विश्वास जताया कि राज्य में अगली सरकार भगवा पार्टी की बनेगी और कहा कि इस स्थिति में जरूरी नहीं कि कोई नवनिर्वाचित विधायक ही मुख्यमंत्री बने। 

मेदिनीपुर से सांसद घोष ने दावा किया पार्टी के पक्ष में पैदा हुई मजबूत लहर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान तक रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण के मतदान के बाद सिर्फ भाजपा ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है जबकि तृणमूल कांग्रेस और उसके नेता हताश हैं। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा, भाजपा के पक्ष में बना माहौल और मजबूत होता जाएगा और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हार का एहसास होता चला जाएगा।’’ 

भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री बाबूल सुप्रीयो सहित लोकसभा के तीन सदस्यों और एक राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता को उम्मीदवार बनाया है लेकिन घोष इनमें शामिल नहीं हैं। पार्टी के जीतने की स्थिति में घोष मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक हैं। 

यह पूछे जाने पर कि भाजपा के चुनाव जीतने की स्थिति में क्या नवनिर्वाचित विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री होगा, उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में कोई भी फैसला पार्टी ही करेगी लेकिन यह जरूरी नहीं कि नवनिर्वाचत विधायकों में से ही कोई मुख्यमंत्री बने। जब ममताजी मुख्यमंत्री बनी थीं तब वह विधायक नहीं थीं।’’ 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पहले चरण की 30 में से 26 सीटें जीतने के दावे का उल्लेख करते हुए घोष ने कहा कि राज्य की जनता अब स्वतंत्रतापूवर्क मतदान करने से डर नहीं रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पक्ष में ‘‘मजबूत लहर’’ है और यह चुनाव परिणमों में भी परिलक्षित होगा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कोलकाता और इसके आसपास के जिलों में भाजपा की स्थिति कमजोर थी और पार्टी ने इन क्षेत्रों में बहुत काम किया और इसका असर अब चुनावों में दिखेगा। 

हाल ही में घोष के उस बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया जिसमें उन्होंने कहा था मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पैर में लगी चोट दिखाने के लिए साड़ी की जगह बरमूडा (हाफ पैंट) पहनना चाहिए। अपने इस बयान का बचाव करते हुए घोष ने कहा, ‘‘वह राज्य की मुख्यमंत्री हैं और राज्य की जनता बंगाल की परंपरा और बंगाल की महिला के मूल्यों के अनुरूप ही उनसे शालीनता की उम्मीद करती है। मुझे उनकी भाव-भंगिमा आपत्तिजनक लगी और राज्य की जनता को भी।’’ 

सांसदों को विधानसभा के चुनाव मैदान में उतारे जाने के बारे में पूछने पर घोष ने कहा कि यह फैसला दर्शाता है कि वह चुनावों को लेकर कितनी गंभीर है और जनता के लिए कितनी प्रतिबद्ध। भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगाए जाने संबंधी एक सवाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘यह बंगाल के जनमानस का नारा है और तृणमूल कांग्रेस के अत्याचार के खिलाफ लोगों में गुस्से की भावना है।’’ 

घोष ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारक के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी। वर्ष 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गए और राज्य इकाई के महासचिव बने। बाद में वह प्रदेश अध्यक्ष बने। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से उन्होंने राजनीतिक पारी का आगाज किया। पश्चिम मेदिनीपुरी की खड़गपुर विधानसभा सीट से उन्होंने चुनाव जीता और यहां से लगातार सात बार विधायक रहे कांग्रेस के ज्ञान सिंह सोहनपाल को पराजित किया। 

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए जमकर घोष की सराहना की थी। राज्य विधानसभा की 294 सीटों के लिए आठ चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान गत 27 मार्च को संपन्न हो चुका है।