तमिलनाडु में द्रमुक के नेतृत्व वाले विपक्ष ने नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में शुक्रवार को ‘व्यापक’ हस्ताक्षर अभियान चलाने का संकल्प लिया। द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि सीएए वापस लिया जाना चाहिए और तमिलनाडु में एनपीआर की गतिविधियां नहीं होने दी जानी चाहिए तथा एनआरसी की तैयारी का प्रयास नहीं होना चाहिए।
इस संबंध में द्रमुक की अध्यक्षता वाली कांग्रेस और एमडीएमके समेत सहयोगी पार्टियों के साथ बैठक में एक प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। बैठक के बाद स्टालिन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने इस संबंध में दो फरवरी से आठ फरवरी तक व्यापक हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया है।’’
उन्होंने कहा कि इन हस्ताक्षरों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपने का फैसला किया गया है। स्टालिन ने कहा कि द्रमुक के नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन (एसपीए) के घटक दल का हर सदस्य इस अभियान में शामिल रहेगा और इस संबंध में सहयोग का अनुरोध किया। एसपीए के घटकों में कांग्रेस, एमडीएमके और वाम दल एवं अन्य शामिल हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि सीएए को वापस नहीं लिया जाएगा । इस बारे में पूछे जाने पर स्टालिन ने कहा, ‘‘उन्हें जो कहना है कहते रहें, हम लोग अपना विरोध जताते रहेंगे।’’
बैठक में स्वीकृत प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया गया है कि सीएए के खिलाफ केरल ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, पंजाब विधानसभा ने कानून को वापस लेने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है जबकि राजस्थान समेत कुछ राज्य इसी तरह के कदम की योजना बना रहे हैं। पार्टियों ने मांग की कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलानी चाहिए और यह घोषणा करनी चाहिए कि राज्य में एनपीआर की अनुमति नहीं दी जाएगी।