नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग खारिज होने के बाद तमिलनाडु विधानसभा में विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने विधानसभा से बहिर्गमन किया। द्रमुक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मद्देनजर सदन की एक विशेष बैठक बुलाने और उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग की थी जिसे राज्य सरकार ने खारिज कर दिया है।
तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पी अनबालगन की ओर से द्रमुक के प्रस्ताव का जवाब देने के बाद एमके स्टालिन ने कहा कि मंत्री के जवाब को ही प्रस्ताव के रूप से पेश करना चाहिए और इस संबंध में राज्य सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। द्रमुक की मांग खारिज होने के बाद स्टालिन ने अपनी पार्टी के सदस्यों के साथ सदन से बहिर्गमन किया।
विभिन्न विपक्षी दलों की ओर से इस संबंध में विशेष नोटिस पर द्रमुक के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा, ‘‘ नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति राज्य के शिक्षा के अधिकारों के विपरित है।’’ स्टालिन ने कहा कि राज्य में पिछले पांच दशकों से द्वि-भाषा प्रणाली का पालन किया जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के जरिये राज्य पर तीन भाषा का सिद्धांत थोपना चाहती है जोकि राज्य के दो भाषा के सिद्धांत के बिलकुल विपरित है।
द्रमुक अध्यक्ष ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में जितना महत्व संस्कृत को दिया जा रहा है उतना महत्व तमिल अथवा अन्य किसी भारतीय भाषा को नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि इस बारे में किसी को भी किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं होना चाहिए और राज्य सरकार को नई शिक्षा नीति पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।
पलानीस्वामी के नयी शिक्षा नीति को लेकर दो समितियां बनाए जाने की टिप्पणी पर विपक्ष के नेता ने कहा कि समितियों को राज्य को प्रभावित करने वाली बातों पर विशेष रूप से विचार करना चाहिए।