हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी): हरिद्वार में ड्रग्स कारोबार का काला सच किसी से छिपा नहीं है। ‘ड्रग्स मुक्त राज्य’ के संकल्प के बीच नशे का कारोबार हरिद्वार में नंबर वन पर है। इस बात का अंदाजा हर वर्ष पकड़े जाने वाले करोड़ों रुपये की मादक पदार्थों की बरामदगी से लगाया जा सकता है।
कई वर्ष की कार्रवाई के बावजूद नशे के सौदागर हरिद्वार उत्तराखंड ही नहीं उत्तर प्रदेश के बरेली, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, हिमाचल प्रदेश और पंजाब आदि हिस्सों से ड्रग्स की तस्करी कर युवाओं की रगों में जहर घोलने में लगे हैं। पंजाब के बाद हरिद्वार ड्रग्स को लेकर खासा सुर्खियों में है।
नशा नेटवर्क से जुड़े लोगों की जड़ें अब इतनी गहरी हो चुकी हैं कि इनका कारोबार अब अरबों में पहुंच चुका है। सबसे ज्यादा शिकार शिक्षित वर्ग हो रहा है। इनमें भी युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। भयावह स्थिति यह है कि ऐसे भी कई परिवार हैं जिन्हाेंने इस धंधे को रोजी-रोटी से जोड़ लिया है।
नशे के काले बाजार से जुड़े लोगों ने शिक्षा का हब होने के कारण रूडकी व हरिद्वार पर ज्यादा फोकस किया है। बाहरी राज्यों के छात्र-छात्राओं की अधिकता होने के कारण सौदागरों ने स्मैक, चरस और हेरोइन की खपत बढ़ाने में युवाओं को शिकार बनाया है। नेटवर्क से जुडे़ लोगों की संख्या सैकड़ों में नहीं बल्कि हजारों में है।
अधिकांश तो ऐसे हैं जो खुद ड्रग्स का सेवन करते-करते अब तस्कर बन चुके हैं। अकेले हरिद्वार में हर वर्ष करोड़ों के मादक पदार्थों की बरामदगी होती है। यह माल वह है जो पुलिस के हाथ लगा है।
कारोबार कितना होगा, इसका अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है। नशे को लेकर हरिद्वार अब पहले नंबर पर है।
पड़ोसी राज्यों की पुलिस से समन्वय की कमी का तस्कर फायदा उठाते हैं। पुलिस इनकी गिरफ्तारी के बाद यह दावा करने से नहीं थकती कि स्मैक, अफीम, नशे की गोलियां और इंजेक्शन की खपत यूपी के बरेली, मुरादाबाद और सहारनपुर से आती है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती है। इस अवधि में मादक पदार्थों में लगभग 2000 लोगों की गिरफ्तारी हुई है, लेकिन हैरत की बात यह है कि आरोपियों से संबंधित थाना पुलिस को रिपोर्ट भेजने की जरूरत महसूस नहीं की जाती। यूपी के इलाकों से नशा बाजार के बड़े मगरमच्छ पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहे हैं। लेकिन किसी स्तर पर संयुक्त ऑपरेशन की पहल नहीं की गई। वहीं, दूसरी ओर नशे की तस्करी में अब बच्चों और महिलाओं को भी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर में ऐसे कई ठिकाने हैं, जहां बच्चों और महिलाओं की मदद से मादक पदार्थों की बिक्री की जाती है। पंजाब के बाद नशे को लेकर हरिद्वार सुर्खियों में है। हरिद्वार की कमान संभालने के बाद एसएसपी अजय सिंह ने हरिद्वार को नश मुक्त करने की बात कही थी। बहरहाल अब नए साल में नशा बाजार से जुड़े सौदागर पुलिस के लिए चुनौती बन गए हैं। देखना होगा पुलिस इस ओर क्या कार्रवाई करती है ?