मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता कमलनाथ ने आज विधानसभा में आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की मौजूदा सरकार के कार्यकाल में विभिन्न प्रकार के माफिया सक्रिय हैं और यह राज्य की जनता भलीभांति जानती है। कमलनाथ ने राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश किए गए कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल होते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि रेत माफिया, शराब माफिया, खनन माफिया, वन माफिया और अन्य तरह के माफिया इस सरकार में पनप रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री कहते है कि वे‘खतरनाक मूड’में हैं। इसके साथ ही उन्होंने सत्तारूढ़ दल से जुड़ एक टिप्पणी भी की, जिसे तुरंत ही कार्यवाही से विलोपित कर दिया गया।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि वास्तव में माफिया तो भाजपा के 15 सालों में पनपे थे, जिन्हें उनकी सरकार ने समाप्त करने का कार्य किया था। इसके लिए ही मिलावटखोरों के खिलाफ अभियान चलाया गया था। उन्होंने अभिभाषण का विरोध करते हुए कहा कि यह दिशाहीन है। इसमें दस बार प्रधानमंत्री के नाम का जिक्र राज्यपाल द्वारा किया गया, जिसकी जरुरत महसूस ही नहीं होती है।
विपक्ष के नेता ने कहा कि अभिभाषण में पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि, बेरोजगारों, महिलाओं की स्थिति, किसानों की स्थिति, निवेश और मौजूदा केंद्रीय कृषि कानूनों के बारे में जिक्र होना चाहिए था। उन्होंने तीनों कृषि कानूनों के बारे में बताते हुए कहा कि इनके कारण किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना बंद हो जाएगा। कांट्रेक्ट फार्मिंग के कारण किसान बंधुआ मजदूर हो जाएंगे। उन्होंने इन कानूनों को पूरी तरह किसान हितों के विपरीत और उद्योगपतियों के हित में बताया।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लगभग आधा घंटे के भाषण में जोर देकर कहा कि वे अनावश्यक आरोपों और विवादों के चक्कर में नहीं पड़ते हैं। राज्य के विकास और हित में कार्य सत्ता पक्ष और विपक्ष के एकसाथ मिलकर कार्य करने से ही संभव हैं। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ सदस्य डॉ सीतासरन शर्मा की बात का उल्लेख करते हुए कहा कि संबल योजना में बहुत सारी गड़बड़यिं थीं, इसलिए उसे कांग्रेस सरकार ने बंद किया गया था। उसके स्थान पर नयी योजना लाए थे।
डॉ शर्मा की ही एक अन्य बात का जिक्र करते हुए कमलनाथ ने कहा कि‘कचरा’तो राज्य की जनता ने वर्ष 2018 में साफ किया था। उन्होंने कहा कि जनता ने तब हमें (कांग्रेस) सत्ता में और भाजपा को घर बिठाया था। उन्होंने सत्तारूढ़ दल के बैठने के स्थान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप लोग वहां कैसे पहुंचे, ये भी पूरी प्रदेश की जनता जानती है। इस बारे में वे ज्यादा बोलना नहीं चाहते हैं। इसके तत्काल बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जब वे जवाब देंगे, तो कमलनाथ सदन में रहकर उनकी बातें अवश्य सुनें।