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धन शोधन मामले में ED ने दो लोगों को अंतरिम जमानत दिए जाने के खिलाफ की अपील

धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार दो लोगों को अंतरिम जमानत दिए जाने के विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया।

 धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार दो लोगों को अंतरिम जमानत दिए जाने के विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया। ईडी के वकील हितेन वेणेगांवकर ने न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ से अपील पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। धन शोधन (निवारण) अधिनियम (पीएमएलए) से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने सोमवार को बाबूलाल वर्मा और कमलकिशोर गुप्ता को जमानत दे दी थी।
 ईडी ने महाराष्ट्र में औरंगाबाद पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। दोनों जनवरी 2021 से न्यायिक हिरासत में थे। वेणेगांवकर ने बुधवार को उच्च न्यायालय में कहा कि विशेष अदालत ने ईडी को जवाब देने का अवसर दिए बिना ही दोनों आरोपियों को अंतरिम जमानत दे दी।बहरहाल, न्यायमूर्ति डांगरे ने इस स्तर पर मामले में हस्तक्षेप करने या उसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया और कहा कि ईडी विशेष अदालत के समक्ष ही इस पर दलीलें पेश कर सकता है।
ईडी ने अपनी अपील में रखी कई सारी बात 
वही, न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा, ‘‘जब विशेष अदालत आरोपियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई पूरी कर लेगी तब उच्च न्यायालय हस्तक्षेप करेगा। चूंकि विशेष अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है तो उन्हें ही सुनवाई करने दीजिए। वहां बैठे लोग अनुभवी हैं।’’ ईडी ने अपनी अपील में कहा कि पीएमएलए से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि उसके पास अंतरिम चरण में ‘प्रेडिकेट ऑफेंस’ न होने के कारण आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अधिकार नहीं है।
बता दें, ‘प्रेडिकेट ऑफेंस’ ऐस अपराध होता है, जो किसी बड़े अपराध का हिस्सा होता है और अक्सर इसका संबंध धन शोधन से होता है। जांच एजेंसी ने उच्च न्यायालय में कहा कि विशेष अदालत को आरोपियों द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने के लिए सबसे पहले ईडी को मौका देना चाहिए था। उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को ‘प्रेडिकेट ऑफेंस’ में आरोप मुक्त या बरी कर दिया जाता है तो पीएमएलए के आरोप भी खत्म हो जाते हैं। इस फैसले के आधार पर दोनों आरोपियों ने ईडी की हिरासत की अर्जियों को चुनौती देते हुए विशेष अदालत में एक याचिका दायर की थी और जमानत के तौर पर अंतरिम राहत देने का अनुरोध किया था। 

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