कुटीर उद्योगों से छत्तीसगढ़ में रोजगार बढ़ाने की कवायद - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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कुटीर उद्योगों से छत्तीसगढ़ में रोजगार बढ़ाने की कवायद

छत्तीसगढ़ में लोग अधिक रोजगार सृजित करने में मदद करने के लिए कुटीर उद्योगों जैसे नए व्यवसायों को सृजित करने का प्रयास कर रहे हैं

छत्तीसगढ़ में लोग अधिक रोजगार सृजित करने में मदद करने के लिए कुटीर उद्योगों जैसे नए व्यवसायों को सृजित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और अधिक लोगों को रोजगार पाने में मदद करने का एक तरीका है। वर्तमान दौर में रोजगार सबसे बड़े समस्याओं में से एक है। छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार रोजगार के बेहतर अवसर सुलभ कराने के लिए प्रयास जारी रखे हुए है। इसी क्रम में एक तरफ जहां निवेश को बढ़ाने नई औद्योगिक नीति के जरिए निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है, वहीं ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति निवेशकों को आकर्षित कर रही है। पिछले चार वर्षों मंे 2218 नवीन उद्योग स्थापित हुए हैं। इन उद्योगों में 21 हजार 457 करोड़ रूपए से अधिक का निवेश हुआ है और 40 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।
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ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति-2022 लागू की गई है
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक कदम और आगे बढ़ाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से ग्रामीणों को रोजगार प्रदान कर उनकी आमदनी को बढ़ाने के उद्देश्य से ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग नीति-2022 लागू की गई है। राज्य में ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देने के तहत 600 करोड़ रुपए की लागत से 300 रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना को स्वीकृति दी गई है। साथ ही पांच वर्षों के भीतर प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति में छोटे निवेशकों को सेवा क्षेत्र में उद्यम के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इकाई ग्रामीण क्षेत्र में ही स्थापित हो
विकासखंडों को उच्च प्राथमिकता विकासखंड के रूप में वगीर्कृत कर सामान्य से अधिक अनुदान प्रदान किये जा रहे हैं। इस नीति के अंतर्गत अनुदान प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक नहीं कि इकाई ग्रामीण क्षेत्र में ही स्थापित हो। ग्रामीण क्षेत्रों की भांति ही शहरी क्षेत्रों में अर्बन इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना का कार्य भी किया जा रहा है। राज्य की पारम्परिक कलाओं जैसे हैंडलूम वीविंग, मधु मक्खी पालन, लाख, जड़ी बुटी संग्रहण, बेल मेटल, ढोकरा शिल्प, बांस शिल्प, गोबर एवं गौ मूत्र से बने उत्पाद, वनोपज से बने उत्पाद, अगरबत्ती, मोमबत्ती निर्माण, सिलाई, बुनाई इत्यादि को उच्च प्राथमिकता एवं प्राथमिकता निर्धारित कर विशेष प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं।
प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान है
इस नीति के तहत महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान है। आईटीआई, पॉलिटेक्निक आद में ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी तथा भविष्य के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी।

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