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चुनाव आयोग ने त्रिपुरा में हुई हिंसा की रिपोर्ट मांगी, क्या शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराना होगा चुनौतीपूर्ण

निर्वाचन आयोग ने त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचक अधिकारी किरण गिट्टे को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस पर हाल में की गई राजनीतिक हिंसा की जांच रिपोर्ट शुक्रवार तक सौंपने का आदेश दिया है।

निर्वाचन आयोग ने त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचक अधिकारी किरण गिट्टे को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं  के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस पर हाल में की गई राजनीतिक हिंसा की जांच रिपोर्ट शुक्रवार तक सौंपने का आदेश दिया है।बता दें कि त्रिपुरा में चुनाव की घोषणा के बाद  हिंसा की घटना देखने को मिली थी। जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस घटना को लेकर रिपोर्ट मांगी है।
गिट्टे  को चुनाव आयोग ने पत्र में क्या लिखा है?
चुनाव आयोग ने एक पत्र में गिट्टे को 18 जनवरी को मतदान कार्यक्रम की घोषणा के तुरंत बाद जिरानिया में राजनीतिक हिंसा की घटना और कांग्रेस और माकपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ हाल के दिनों में हुई हिंसा की 54 अन्य घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया।
क्या चुनाव आयोग के शून्य अभियान पर चोंट?
 गिट्टे को पत्र में माकपा और कांग्रेस के सीईसी को लिखे पत्र को संलग्न करते हुए कहा गया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के उकसावे और संरक्षण के साथ आयोग के शून्य मतदान हिंसा अभियान को चुनौती दी।
रिपोर्ट कब तक सौंपने को कहा गया है?
पत्र में कहा गया है कि मुख्य सचिव के माध्यम से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से एक रिपोर्ट प्राप्त करने और शुक्रवार को दोपहर तीन बजे तक उसे प्रस्तुत करने का अनुरोध किया जाता है। पुलिस सूत्रों ने कहा कि ईसीआई के निर्देश के साथ डीजीपी अमिताभ रंजन ने हाल ही में विपक्षी दल के समर्थकों और नेताओं के खिलाफ हिंसा के संबंध में राज्य के विभिन्न पुलिस थानों को प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। पुलिस प्रमुख ने राजनीतिक हिंसा और सुरक्षा बलों की उपस्थिति में हमलों की शिकायतों के संबंध में पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी व्यक्त की।
कांग्रेस नेता ने सुरक्षा के इतंजाम को लेकर क्यों करें सवाल खड़े?
कांग्रेस विधायक सुदीप रॉयबर्मन ने कहा कि चुनाव आयोग ने हिंसा मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए दो सप्ताह पहले केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों की 100 से अधिक कंपनियों को त्रिपुरा भेजा था और उन्हें राज्य भर में विशेष पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में तैनात किया गया था, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने सत्ता पक्ष के पक्ष में भूमिका निभाई और हिंसा को रोकने और आयोग के निर्देशों का पालन करने के लिए बलों का सही इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब एआईसीसी सचिव और राज्य प्रभारी डॉ अजॉय कुमार पर रानीरबाजार में भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों के सामने हमला किया गया और सूचना मंत्री सुशांत चौधरी ने पुलिस की मौजूदगी में उन्हें गाली और धमकी दी, महानिरीक्षक (आईजी)(सीआरपीएफ) मौके पर थे और बदमाशों ने उनके सामने हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला किया, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया। ऐसे प्रशासन के तहत चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण कैसे हो सकता है।
हिंसा में शामिल कितने लोगों को किया गया गिरफ्तार?
इस बीच श्री गिट्टे ने कहा कि जिरानिया में बुधवार को कांग्रेस की मोटरसाइकिल रैली के दौरान सिलसिलेवार हिंसा के संबंध में तीन प्राथमिकी दर्ज की गयी है। उन्होंने कहा कि घटनाओं के सिलसिले में अब तक कम से कम आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, 18 अन्य की पहचान की गई है और जांच चल रही है। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

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