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निकाय चुनाव परिणाम से पता चलता है मराठाओं का BJP पर है विश्वास : महाराष्ट्र मंत्री 

सुधीर मुगंतीवार ने कहा कि सांगली और जलगांव नगर पालिका चुनाव में भाजपा की जीत पार्टी को आरक्षण मुद्दे से निपटने में मजबूत स्थिति प्रदान करेगी।

महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ मंत्री ने उम्मीद जताई है कि आरक्षण के लिए मराठा समुदाय का जारी आंदोलन अगले कुछ दिनों में वापस ले लिया जाएगा क्योंकि भाजपा सरकार मुद्दे के समाधान की दिशा में काम कर रही है और समुदाय ने उसमें भरोसा जताया है। वित्त मंत्री सुधीर मुंगतीवार की ओर से यह टिप्पणी मराठा संगठनों की ओर से 9 अगस्त से नये दौर का आंदोलन शुरू करने की घोषणा के बाद आई है।

उन्होंने कहा कि सांगली और जलगांव नगर पालिका चुनाव में भाजपा की जीत पार्टी को आरक्षण मुद्दे से निपटने में मजबूत स्थिति प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि दोनों शहरों में मराठाओं की अच्छी संख्या है और भाजपा की जीत दिखाती है कि समुदाय का राज्य में पार्टी नीत सरकार में विश्वास है।

भाजपा नेता ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण मुहैया कराने के अपने इरादे में बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कुछ लोगों पर समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया जो कि अपनी मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है। मुंगतीवार ने कहा कि लंबे समय से लंबित आरक्षण मुद्दा तब सुलझ सकता था जब कांग्रेस..राकांपा गठबंधन 15 वर्षों तक सत्ता में था।

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उन्होंने कहा, ”हम उम्मीद करते हैं कि (सरकार और मराठा समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच) चर्चा जल्द पूरी होगी और उम्मीद है कि आंदोलन नौ अगस्त से पहले वापस ले लिया जाएगा।” उन्होंने कांग्रेस और राकांपा पर हमला बोलते हुए कहा कि दोनों मुख्य विपक्षी दलों ने आंदोलन का इस्तेमाल भाजपा सरकार के खिलाफ अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए करने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा, ”उन्हें पता था कि 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद उनके पास 2019 में मतदाताओं को दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। इसलिए उनके पास केवल दो विकल्प थे..भाजपा और शिवसेना के गठबंधन को तोड़ना और मतदाताओं को बांटना या ऐसे प्रदर्शन उकसाना।”

उन्होंने दावा किया कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर एक आमसहमति बनाने के लिए गत सप्ताह आहूत सर्वदलीय बैठक के दौरान राकांपा नेताओं छगन भुजबल और अजित पवार ने अलग अलग रूख अपनाया।

मंत्री ने कहा, ”अजित पवार मुद्दे पर चर्चा और इसे सुलझाने के लिए विधानमंडल का एक विशेष सत्र आहूत करने के पक्ष में थे। वही वह (भुजबल) का विचार था कि यदि भी एक विशेष सत्र आहूत किया गया तो अन्य समुदाय भी आरक्षण की मांग करेंगे।”

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