मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शिवराज सरकार को झटका देते हुए ये फैसला सुनाया। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि 15 दिन के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आदेश पर रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का फैसला किया है।
रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि अभी माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया है, हमने विस्तृत अध्ययन नहीं किया है लेकिन OBC आरक्षण के साथ ही पंचायत के चुनाव हों इसके लिए रिव्यू याचिका हम दायर करेंगे और पुन: आग्रह करेंगे कि स्थानीय निकायों के चुनाव OBC के आरक्षण के साथ हों।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान में हर 5 साल के अंदर चुनाव कराने की व्यवस्था है, लिहाजा चुनावों में देरी नहीं की जा सकती। जो भी पॉलिटिकल पार्टी ओबीसी की पक्षधर हैं, वो सभी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने कहा है कि पिछले दो साल से 23 हज़ार के करीब स्थानीय निकाय के पद खाली पड़े हैं। आरक्षण देने के ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जा सकता, लिहाजा चुनाव पूरे कराए जाएं।
SC के फैसले के बाद MP में साफ हुआ चुनाव का रास्ता
मध्य प्रदेश में लोकल चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मामला लगातार विवाद का हिस्सा बना हुआ है जिसके चलते यहां एक साल से ज्यादा वक्त से भी लोकल चुनाव लटके हुए है, लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में चुनावों का रास्ता साफ हो गया है।