देहरादून : प्रमोशन में आरक्षण का मामला पेचीदा होता जा रहा है। मामला अदालत में विचाराधीन होने की वजह से सरकार ने पदोन्नतियों पर रोक लगाई तो कर्मचारी संगठन नाराज हो गए। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन ने 14 सितंबर को बैठक बुलाई है, जिसमें भावी रणनीति पर मंथन होगा। उधर, उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाइज फेडरेशन ने भी इसी हफ्ते एक प्रदेश स्तरीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। इस बैठक में एससी-एसटी वर्ग से जुड़े विधायकों और बेरोजगार नौजवानों को बुलाया जा रहा है।
जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा की प्रमोशन पर रोक लगाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता। सरकार को रोक हटानी चाहिए। कई कर्मचारी सेवानिवृत्ति के पास हैं और इस रोक से वे पदोन्नति से वंचित हो जाएंगे। एसोसिएशन ने आज बैठक बुलाई है, जिसमें भावी रणनीति पर विचार होगा। उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने कहा की उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाइज एसोसिएशन के वर्ष 2012 में प्रमोशन में आरक्षण को निरस्त करने को लेकर उच्च न्यायालय का आदेश आया था। उस समय कहा गया कि अदालत का आदेश है, उसे लागू करना होगा।
आज उच्च न्यायालय ने ज्ञानचंद बनाम उत्तराखंड शासन के मामले में आरक्षण के पक्ष में आदेश पारित किए हैं। प्रदेश सरकार ने उसे चुनौती दे दी। फेडरेशन चुप नहीं बैठेगी। इसी सप्ताह बैठक में अगली रणनीति पर विचार होगा। सीधी भर्ती के पदों के लिए शासन ने आरक्षण रोस्टर की नीति बेशक जारी कर दी है, लेकिन इसके खिलाफ उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाइज फेडरेशन की जंग खत्म नहीं हुई है।
फेडरेशन इस मसले को न्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर रहा है। कार्मिक मोर्चा के प्रदेश मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह, परिषद के प्रांतीय कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडेय और मंच के प्रदेश मुख्य संयोजक नवीन कांडपाल ने कहा कि प्रमोशन और डीपीसी से रोक हटाने की मांग को लेकर मुख्य सचिव से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा जाएगा।