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अतिक्रमण ने बिगाड़ी द्रौणनगरी की रंगत

जाम का दायरा दून की सड़कों मे बढ़ जा रहा है इसकी मुख्य वजह अतिक्रमण से तंग होती सड़कें और उस पर हर रोज बढ़ रही वाहनों की सख्या हैं।

देहरादून : जाम का दायरा दून की सड़कों मे बढ़ जा रहा है इसकी मुख्य वजह अतिक्रमण से तंग होती सड़कें और उस पर हर रोज बढ़ रही वाहनों की सख्या हैं। ट्रैफिक जाम की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। शहर की सड़को पर रोजाना ट्रैफिक का दम फूलता है। देहरादून की सड़कें पहले की अपेक्षा सिकुड़ चुकी हैं। सड़कें यदि चौड़ी हुई तो उससे ज्यादा अतिक्रमित हो गई। स्कूलों और दफ्तरों के खुलने और बंद होने के वक्त तो अधिकतर सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।

शहर में लोक निर्माण विभाग, एमडीडीए और नगर निगम के अधीन कुल 500 सड़कें हैं, जिनकी लंबाई करीब 518 किमी है। इनकी मरम्मत के लिए सरकारी विभागों की समय सीमा निर्धारित है, लेकिन दुर्भाग्य ही है कि यहां सड़कों की मरम्मत न तो समय से होती न ही कोई इनकी सुध लेता है। जिले में तकरीबन नौ लाख वाहन दौड़ते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनमें दून शहर में रोजाना करीब छह लाख वाहन दौड़ते हैं। प्रतिघंटा शहर की मुख्य सड़कों राजपुर रोड, हरिद्वार रोड, सहारनपुर रोड व चकराता रोड पर सुबह से शाम तक तकरीबन 50 हजार वाहनों का दबाव रहता है।

यहां पूरे दिन जाम की स्थिति रहती है और एक किमी तय करने में कई दफा एक घंटा तक लग जाता है। शहर की यातायात व्यवस्था की कमान यूं तो ट्रैफिक पुलिस के पास है, लेकिन गुजरे दस साल में पुलिस अधिकारियों ने दून शहर को प्रयोगशाला बना डाला। अतिक्रमण हटाना, विक्रम-सिटी बसों की धींगामुश्ती पर लगाम लगाने की दिशा में कभी गंभीर हुई ही नहीं। कभी कोई कट बंद कर दिया तो कभी किसी भी सड़क के लिए वन-वे सिस्टम लागू कर दिया। ताजा हालात ये हैं कि चौराहों से पुलिस नदारद मिलती है और तेज-तर्रार सीपीयू जवान जाम खुलवाने के बजाय सिर्फ चालान के नाम पर शोषण करते दिखते हैं।

– सुनील तलवाड़

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