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Exit Poll: झारखंड में गड़बड़ाता दिख रहा है भाजपा का गणित

झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नारा दिया था, ‘अबकी बार 65 पार।’ लेकिन, लगता है इस बार पार्टी का गणित गलत हो गया है।

झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नारा दिया था, ‘अबकी बार 65 पार।’ लेकिन, लगता है इस बार पार्टी का गणित गलत हो गया है। आईएएनएस-सी वोटर-एबीपी एग्जिट पोल के अनुसार, जहां पार्टी ने 2014 में 37 सीटें जीती थीं और बाद में अपनी ताकत 44 सीटों की करने में सफल हुई थी, वहीं इस बार वह 32 सीटों पर सिमट सकती है। कई कारणों के चलते भाजपा की भविष्यवाणी से इतर परिणाम आने की संभावना है। 
इनमें मुख्यमंत्री रघुवर दास की विश्वसनीयता का कम होना और झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन की ‘भगवा पहने’ वाली टिप्पणी शामिल है। इसके अलावा और आदिवासी और ओबीसी कार्ड भी है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की विश्वसनीयता कम हुई है। आदिवासी बहुल राज्य में एक गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री को पूरी तरह से अपनाना वैसे भी दिक्कततलब है। इस पर से उनकी प्रशासनिक क्षमताओं की कमी ने भी लोगों का मोह उनसे भंग किया। उनके खिलाफ राज्य इकाई से शिकायतें आने लगीं। 
चुनाव शुरू होने से पहले ही भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया था, “हम जानते हैं कि राज्य इकाई भी दास के खिलाफ है। यहां तक कि (पार्टी प्रमुख) अमित शाह भी इसके बारे में जानते हैं। लेकिन, हम मुख्यमंत्री बदलने का जोखिम नहीं उठा सकते। चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदलना से नुकसान हो सकता है और इसे हार स्वीकृति के रूप में देखा जा सकता है।” 
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एग्जिट पोल के अनुसार, अंतिम चरण में भाजपा का सबसे बुरा प्रदर्शन हुआ। यदि एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो शुक्रवार को अंतिम 16 सीटों पर हुए मतदान में से भाजपा केवल दो में जीत दर्ज करेगी। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) 11 और एजेएसयू एक पर काबिज हो सकती है। हेमंत सोरेन ने बुधवार को भाजपा नेताओं पर कड़वी और निजी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘भगवाधारी नेता शादी नहीं करते, लेकिन महिलाओं के साथ दुष्कर्म करते हैं।’ 
पाकुड़ में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सोरेन ने बुधवार को कहा था, “मैंने सुना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी झारखंड के चक्कर लगा रहे हैं। ये भाजपा के लोग ऐसे हैं, जो शादी नहीं करते हैं, लेकिन भगवा धारण करते हैं और बच्चियों और बहुओं के साथ दुष्कर्म करते हैं। क्या हम ऐसे लोगों को वोट देंगे, जो महिलाओं के साथ दुष्कर्म करते हैं।”
झमुमो ने एसटी, ओबीसी और एससी को 67 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है। इसमें आदिवासियों को प्राथमिकता है लेकिन ओबीसी को भी खुश रखने की बात कही गई है। राज्य की आबादी में 12.08 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी) और 26.21 फीसदी अनुसूचित जनजाति (एसटी) हैं, जबकि 52 फीसदी ओबीसी हैं। साथ में मिलकर वे एक अभेद ब्लॉक बनाते हैं, जिससे जीतना कठिन है। 
राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी का वादा भी झामुमो ने किया है, जिसे शायद लोगों ने पसंद किया है। 23 दिसंबर को मतगणना होगी, तब चुनाव के परिणाम आएंगे। लेकिन आईएएनएस-सीवोटर-एबीपी एग्जिट पोल के अनुसार, भाजपा अपने दावे ‘अबकी बार 65 पार’ के आधे को भी पार करती हुई नहीं दिखाई दे रही है। 

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