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इंदौर में ग्रीन फंगस का पहला केस, एयरलिफ्ट कर मुंबई भेजा गया 34 वर्षीय मरीज

मध्य प्रदेश के इंदौर में ग्रीन फंगस (एस्परगिलस) का पहला केस सामने आया है। यहां के अरविंदो अस्पताल में 34 वर्षीय एक शख्स के फेफड़ों और साइनस में एस्परगिलस फंगस मिला।

देश में कोरोना के कम होते कहर के बीच ब्लैक, वाइट और येलो फंगस ने कोहराम मचा दिया। ऐसे में देश के सामने एक और खतरा आ खड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश के इंदौर में ग्रीन फंगस (एस्परगिलस) का पहला केस सामने आया है। यहां के अरविंदो अस्पताल में 34 वर्षीय एक शख्स के फेफड़ों और साइनस में एस्परगिलस फंगस मिला। 
मंगलवार को एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि ग्रीन फंगस के मरीज को अरविंदो अस्पताल से मुंबई के हिंदूजा रॉव अस्पताल एयर एंबुलेंस से पहुंचाया गया।  उन्होंने कहा कि संभवत: कोविड-19 से ठीक हो चुके शख्स में ग्रीन फंगस का देश में पहला मामला है। कोविड-19 सर्वाइर का इलाज पिछले डेढ़ महीने से अरविंदो अस्पताल में किया जा रहा था।

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इंदौर के माणिक बाग रोड पर रहने वाले 34 वर्षीय विशाल श्रीधर को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था। ठीक होने के बाद वह घर गए, लेकिन पोस्ट कोविड लक्षणों के चलते उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उनके फेफड़ों और साइनस में एस्परगिलस फंगस मिला, जिसकी पहचान ग्रीन फंगस के रूप में हुई। डॉक्टरों ने बताया कि विशाल के फेफड़ों में 90 फीसदी संक्रमण हो गया, जिसके बाद उन्हें चार्टर्ड प्लेन से मुंबई भेजा गया। अब हिंदुजा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ग्रीन फंगस ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक है। इसकी वजह से मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। मरीज के मल में खून आने लगा था। बुखार भी 103 डिग्री बना हुआ था। ग्रीन फंगस पर एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन भी असर नहीं करता है। डॉक्टरों ने बताया कि एस्परगिलस फंगस को सामान्य भाषा में येलो फंगस और ग्रीन फंगस कहा जाता है, जो कभी-कभी ब्राउन फंगस के रूप में भी मिलता है। 

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