पश्चिम बंगाल के 24 परगना इलाके में समुद्र के बीच में भूखे-प्यासे पांच दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे एक भारतीय मछुआरे रबींद्रनाथ दास को बांग्लादेशी जहाज ने रेसक्यू करके बचा लिया है। बंगाल की खाड़ी में अपने 14 साथियों के साथ मछली पकड़ने गए रबींद्र की नाव तूफान के आने से पलट गई थी। इसके बाद तैरते हुए बांस के लकड़े के सहारे वे पांच दिनों तक बचे रहे और बांग्लादेशी सीमा में पहुंच गए।
बांग्लादेशी समुन्द्र चिटगोंग के तट के पास एक जहाज पर स्थित मौजूदा क्रू मेम्बर्स ने बचा लिया:
बांग्लादेश से वापिस लौटे मछुआरे रबींद्र का इलाज कोलकाता के अस्पताल में इलाज चल रहा है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के नारायणपुर के निवासी रबिन्द्रनाथ 4 जुलाई को अपने 13 अन्य साथियों के साथ समुद्र में मछली पकड़ने के लिए नाव पर सवार होकर निकले थे, लेकिन 6 जुलाई को तेज तूफान की वजह से नाव अचानक पलट गई और डूब गई।
इस तेज तूफान के दौरान सभी 11 साथी समेत वे पानी में कूद गए लेकिन उनके तीन साथी नाव के नीचे आ जाने से दब गए जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गयी।
पानी के तेज बहाव के कारण मेरे बाकी साथियों की डूबने से मौत हो गयी।नाथ ने बताया कि ये पांच दिन मेरे बेहद मुश्किल भरे थे।मैं सोचता था कि मेरी मौत जल्द हो जाएगी, लेकिन फिर जीने की चाह मुझे हिम्मत दे देती थी।” मेरे जीवन जीने की इच्छा ने मुझे बांधे रखा वह मुझे बार बार हिम्मत देती थी। जिसकी वजह से मैं जिन्दा बच पाया।
रबींद्रनाथ ने 3 दिनों तक भतीजे को कंधे पर बैठाए रखा:
10 जुलाई को रबिन्द्र चिटगोंग के पास पहुंच गए, वहां बांग्लादेश के जहाज की उन पर नजर पड़ी। जिससे वह जहाज की और जाने लगे और दो घंटे के प्रयास के बाद रबींद्रनाथ को बचा लिया गया। दास ने बताया कि उन्हें बचाए जाने से कुछ घंटे पहले उनका भतीजा डूब गया था ,अपने भतीजे को न बचा पाने का दुःख मुझे हमेशा रहेगा।
साथ ही उन्होंने बताया कि हम साथ-साथ तीन दिन तक समुन्द्र में तैरते रहे। मेरा भतीजा काफी डरा हुआ था। दास ने बताया, ” भूख से बेहाल और बिना लाइफ जैकेट के उनके 14 साथियों की एक-एक करके मौत हो गई, जबकि उन्होंने धैर्य और दृढ़ इच्छा बनाए रखी। दास ने आगे कहा कि मैंने पिछले पांच दिनों से मैंने कुछ भी नहीं खाया, केवल पानी पीकर ही जिन्दा रहा।