उत्तराखंड विधानसभा में बजट सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया और सदन की कार्यवाही रोककर नियम 310 के तहत शराब कांड पर चर्चा की माँग करने लगे। सदन में विपक्ष का विरोध लगातार जारी रहने से प्रश्नकाल शुरू नहीं हो पाया। संसदीय कार्य मंत्री ने मंत्री वक्तव्य में चर्चा की कही बात कही लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष की सूचना को किया स्वीकार करते हुए नियम 310 के तहत शराब कांड पर चर्चा शुरू करने के लिए व्यवस्था दी। नेता प्रतिपक्ष ने नियम 310 के तहत अवैध शराब पर बोलते हुए कहा की सरकार की कार्यप्रणाली से जाहिर होता है कि शराब काण्ड में सरकार संवेदनहीन बनी हुए है।
सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ करते हुए उन्होंने कहा की इतनी बड़ घटना में कई लोगों की मौत के बाद भी वहाँ कोई मुख्यमंत्री और मंत्री नहीं पहुँचा न ही पीड़तो का हाल जानने की कोशिश की गई। विपक्षी सदस्यों ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष से की उचित आदेश देने की मांग की। भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने नियम 310 के तहत अपना वक्तव्य रखते हुए कहा की सरकार के इंतजाम नाका़फी हैं केवल खानापूर्ति की जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं पर सवाल खड़ करते हुए कहा कि अवैध शराब पर कार्यवाही समय रहते की होती तो इतना बड़ हादसा टल सकता था। चकराता विधायक और कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा की सरकार को आर्थिक सहायता राशि बढ़कर दो लाख से बढ़कर 10 लाख करनी चाहिए साथ ही गंभीर रूप से बीमार को पांच लाख की आर्थिक सहायता राशि दी जाये।
उन्होंने कहा की सरकार अपनी त्रिमेदारी से भाग रही है। उन्होंने अबकारी मंत्री और मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर सरकार पर गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगया कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने आरोप लगाते हुए कहा की अवैध शराब का पैसा मुख्यमंत्री और मंत्रियों तक जा रहा है। उन्होंने अवैध शराब पर प्रदेश भर में प्रतिबंध लगाने की मांग की। इस दौरान विपक्षी कांग्रेसी सदस्य सदन के बीचोंबीच आकर शोरगुल करने लगे और आबकारी मन्त्री के इस्तीफे की मांग करने लगे। हालांकी बाद में विधानसभा के अध्यक्ष ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए पांच सदस्य की एक कमेटी गठन कर मामले की विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा गया। इस कार्यवाही पर विपक्षी कांग्रेसी सदस्य संतुष्ट नहीं हुये और नारेबाजी करते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर विधानसभा की गैलरी में आकर धरने पर बैठ गए।