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अनशनकारी श्रमिकों को जबरन उठाया

श्रमिकों को सोते से उठाया गया और जो नहीं उठे उन्हें जबरन उठाया गया। पुलिस ने श्रमिकों धरना और आमरण अनशन खत्म करने की चेतावनी दी।

रुद्रपुर : अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शनरत स्पार्क मिंडा और इंटरआर्क कंपनी के श्रमिकों को जबरन उठा दिया गया। वाक्या उस वक्त का है जब एएलसी दफ्तर और इंटरआर्क कंपनी के बाहर श्रमिक सुबह सो रहे थे। तभी पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारियों भारी पुलिस बल और पीएसी के साथ धरना स्थल पर पहुंच गए।

श्रमिकों को सोते से उठाया गया और जो नहीं उठे उन्हें जबरन उठाया गया। पुलिस ने श्रमिकों धरना और आमरण अनशन खत्म करने की चेतावनी दी, लेकिन जब श्रमिकों ने इंकार कर दिया तो पुलिस हलका बल प्रयोग किया। एएलसी दफ्तर से श्रमिकों को बाहर कर दिया गया और उनका टेंट उखाड़ कर गांधी पार्क में फेंक दिया गया।

एएलसी दफ्तर और इंटरआर्क के बाहर बैठे एक दर्जन के करीब लोगों को बीमार बता कर जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जबकि मजदूर लगातार इसका विरोध कर रहे थे। पुलिस जिन्हें उठा कर अस्पताल लाई उनमें फिटर विजय पांडे पुत्र भुवन चंद्र पांडे, गाइडर मैन सुशील पांडे की पत्नी अखिलेश देवी, मशीन ऑपरेटर अनिल कुमार की पत्नी निहारिका सिंह, सीनियर फिटर विनय कुमार पुत्र यशपाल सिंह, ड्रिल मैन अजीत कुमार पुत्र उमेश मंडल व किच्छा संगठन के महामंत्री पान मोहम्मद की पत्नी जरीना बेगम शामिल हैं।

वहीं पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ ने अपना समर्थन दिया। कांग्रेस सेवादल महानगर अध्यक्ष सुशील गाबा के साथ बेहड़ सबसे पहले इंटार्क गेट पहुंचे, फिर उन्होंने जिला अस्पताल जाकर जबरन उठाये गए छह मजदूरों का हालचाल जाना, इसके बाद किच्छा में जाकर इंटार्क श्रमिकों से भी मुलाकात कर इस मामले में इंसाफ के लिए हरसंभव सहयोग देने की घोषणा करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि इस मामले में जिलाधिकारी व एसएसपी से भी वार्ता की जाएगी।स्पार्क मिंडा के श्रमिक सुबह एएलसी दफ्तर में टेंट लगाकर रजाई और कंबलों में सोए हुए थे।

तभी पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी मौके पर पहुंच गए और सोते श्रमिकों को जबरन उठा दिया गया। उनका टेंट उखाड़ कर पुलिस ने गांधी पार्क में फेंक दिया और श्रमिकों को एएलसी दफ्तर से बाहर कर दिया। साथ ही चेतावनी दी गई कि अब वह एएलसी दफ्तर में किसी तरह का धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे।

– सुरेंद्र तनेजा

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