केरल के पूर्व मुख्य सचिव और लेखक सीपी नायर का आज 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पूर्व नौकरशाह चेलप्पन परमेश्वरन नायर को राजनीति की दुनिया में सीपी नायर के नाम से जाना जाता था। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को कार्डियक अरेस्ट का अटैक आने के बाद अपने आवास पर सीपी नायर ने आखिरी सांस ली। 1962 बैच के आईएएस अधिकारी रहे नायर साल 1998 में केरल के सचिव के तौर पर रिटायर हुए थे।
सीपी नायर को जानने वाले लोग उन्हें उल्लेखनीय प्रशासनिक क्षमताओं, तेज बुद्धि और उनकी लेखन शैली के लिए याद करेंगे। रिटायरमेंट के बाद भी वो राज्य के सामाजिक-सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में बहुत सक्रिय थे। उन्होंने सिविल सेवक के रूप में अपने दशकों के लंबे कार्यकाल के दौरान जिला कलेक्टर, गृह सचिव, श्रम सचिव और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
नायर ने प्रशासनिक सुधार आयोग के सदस्य के रूप में भी काम किया और सेवानिवृत्ति के बाद केरल शिक्षा अधिनियम और नियम (केईएआर) को फिर से लिखने के लिए गठित एक सरकारी पैनल का नेतृत्व किया। लेखन में पुरस्कार जीत चुके सीपी नायर ने ठाकिल, युगांडा मलयालम, लंकायिल ओरु मारुति, और इसी तरह की कई किताबें लिखीं। इसके अलावा इरुकलिमुट्टकल के लिए उन्हें केरल साहित्य अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। नायर अपने पीछे अपनी पत्नी पत्नी सरस्वती और दो बच्चों व उनके परिवार को छोड़ गए हैं।
मंत्रियों और राजनीतिक नेताओं सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने पूर्व नौकरशाह के निधन पर शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने नायर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक प्रख्यात नौकरशाह और लेखक के रूप में याद किया। उन्होंने कहा, ‘मुख्य सचिव और प्रशासनिक सुधार आयोग के सदस्य के रूप में उनकी सेवाएं उल्लेखनीय थीं, सीपी नायर ने साहित्य के क्षेत्र में भी बहुमूल्य योगदान दिया था।’