मुंबई की एक आवासीय सोसायटी में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। उपनगर कांदिवली की इस सोसायटी के लोगों को कोविड-19 वैक्सीनेशन के बाद जब सर्टिफिकेट नहीं मिला तो इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। वहीं अंदेशा जताया जा रहा है कि लोगों को जो वैक्सीन लगाई गई है हो सकता है वो भी नकली हो। फिलहाल पुलिस जांच में जुट गई है।
पुलिस उपायुक्त, जोन 11, विशाल ठाकुर ने बताया, ‘‘हमने इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है और न ही किसी को गिरफ्तार किया है। हम बस जांच कर रहे हैं।’’ पुलिस को दी शिकायत में हीरानंदनी हेरीटेज रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (एचएचआरडब्ल्यूए) ने कहा कि सोसायटी में 30 मई को वैक्सीनेशन कैंप लगाया गया था लेकिन बाद में यह पाया गया कि को-विन पोर्टल पर उन लोगों का कोई रिकॉर्ड नहीं है जिन्होंने टीका लगवाया था और उन्हें अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर सर्टिफिकेट मिले।
शिकायत में कहा गया है, ‘‘अगर टीका नकली पाया जाता है तो टीका लगवाने वाले लोगों को चिकित्सा जांच की जरूरत होगी। अत: इस पूरे मामले की जांच करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि अन्य जगहों पर भी ऐसी जाली गतिविधियां न हो।’’ उसने शिकायत में कहा कि एचएचआरडब्ल्यूए ने उपनगर अंधेरी में एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल का बिक्री प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले व्यक्ति के जरिए शिविर का आयोजन किया था।
शिविर में एक टीके के लिए 1,260 रुपये लिए गए और 390 लोगों को टीके लगाए गए। उन्हें नानावती अस्पताल, लाइफलाइन अस्पताल और नेस्को कोविड शिविर के नाम पर सर्टिफिकेट दिए गए। नानावती अस्पताल ने एक बयान में कहा था कि उसने ऐसा कोई टीकाकरण शिविर आयोजित नहीं किया। एचएचआरडब्ल्यूए ने कहा कि टीका लगवाने वाले किसी भी व्यक्ति को बुखार या बदन दर्द नहीं हुआ जैसा कि कोविड-19 रोधी टीका लगवाने के बाद आम तौर पर होता है।