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सन्यास से सत्ता की ओर : बाबा-भागलपुर

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भारतीय राजनीति में युवा एवं प्रतिभाशाली नेतृत्व के साथ-साथ साधु और सन्यासी भी सक्रिय हैं। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी “बाबा-भागलपुर”, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने ज्योतिषिय परिप्रेक्ष्य में बतलाया कि:- सुश्री उमा भारती, योगी आदित्य नाथ जी, श्री साक्षी महाराज और श्रीबालक नाथ जी आदि संयासियों की राजनीति में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। इसी क्रम में हम नागा बाबा श्री आकाश गिरि जी की ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहेंगे।

उनका संक्षिप्त परिचय यह है कि श्री आकाश गिरि जी जो सात वर्ष की बाल्यावस्था में नागा सन्यासी की दीक्षा प्राप्त कर इस सम्प्रदाय में शामिल हुये। इन्हें उन्नीस वर्ष पूर्व इस सम्प्रदाय में श्रीमहन्त की उपाधि मिली। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में श्रीमहन्त आकाश गिरि जी राजस्थान प्रदेश के नीमराना और झुनझुनु जिले में गौ सेवा, पर्यावरण सुरक्षा और धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से जन सेवा कर रहे हैं। धर्म की रक्षा और अनन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु राजनीति के माध्यम से सेवा करने की इनकी प्रबल ईच्छा है। अब हम इनकी जन्मकुण्डली का अवलोकन करते हैं कि नागा बाबा के सितारे क्या बोलते हैं? इनका जन्म:- 16 जुलाई 1982 समय:- 03:15 बजे अपराह्न, जन्म स्थान:- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

उपांकित उपलब्ध विवरणी के विवेचनोपरान्त ज्ञात हो रहा है कि वृश्चिक लग्न, मेष राशि, कृतिका नक्षत्र के प्रथम चरण और कन्या के नवांश। लग्नेश मंगल एकादश भाव में तृतीयेश-चतुर्थेश व राजकाज के प्रबल कारक ग्रह शनि के साथ विराजमान है जो स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि संघर्षोंपरान्त इन्हें राजनीतिक पद व सम्मान प्राप्त होगा। द्वितीयेश-पंचमेश देव गुरु बृहस्पति द्वादश भाव में अवस्थित होकर, भाग्येश चन्द्र जो षष्टभाव में है तथा उससे परस्पर दृष्टि सम्बन्ध बन रहा है।

जिसके फलस्वरूप जीवन के उत्तरार्ध में सफलता की प्राप्ति और मृत्यु के उपरांत मोक्ष प्राप्ति की सम्भावना है। राजनीतिक शुचिता में भी इनका विश्वास बना रहेगा तथा उम्मीद है कि वो अपने दामन को दागदार नहीं होने देंगे। चन्द्रमा से द्वितीय और द्वादश भाव में कोई ग्रह नहीं है। यह एक खराब योग केमद्रुम योग निर्मित करता है। द्वितीय भावस्थ केतु पर सूर्य-बुध व शुक्र-राहु की दृष्टि के फलाफल स्पष्टवक्ता के साथ-साथ करूवाहट और तीखापन को भी दर्शाता है।

अष्टम भावस्थ सूर्य-बुध, शुक्र और राहु की युति सम्बन्ध विपरीत राजयोग का सृजन कर रहा है। विंशोतरी दशा क्रम में राहु की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा दिसम्बर 2019 तक है। अतः अवलोकनोपरान्त ज्ञात हो रहा है कि नागा बाबा आकाश गिरि जी धार्मिक-अध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों को कार्यान्वित करते हुये धर्म के साथ-साथ राजनीति के चक्र में भी अपना विशेष स्थान प्राप्त करते हैं तो यह कोई आश्चर्यजनक उपलब्धि नहीं होगी क्योंकि ज्योतिर्विद्या के आलोक में ऐसा होना सहज प्रतीत हो रहा है।

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